2. A Man Sent by God
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2. परमेश्वर ने एक मनुष्य भेजा
शुरुआती प्रश्न : एक दूसरे के साथ अपने द्वारा अभी तक खाई गयी सबसे वाहियात, बिलकुल बेकार या सबसे रोचक चीज़ की कहानी बाँटें।
1976 में, सत्य को पा लेने की एक आत्मिक खोज के दौरान, मैंने जादुई बस (संगीतकारों के उस समूह के लाइव इन लीड्स एल्बम के गीत के कारण) कहे जाने वाली बस में जो लंदन से शुरू होकर भारत तक का सफ़र तय करती है, यूरोप होते हुए एशिया में प्रवेश किया। जब मैं अफगानिस्तान में था (संसार के उस भाग में पाई जाने सभी वर्तमान समस्याओं से काफी पहले) मैं एक ढाबे पर गया। हम एक विलासीन कालीन बिछे हुए फर्श पर, सभी अफगानों के जैसे, आलती-पालती मार के बीच में रखी हुई मेज़ों के नीचे अपने पैर करके बैठ गए। मैंने वहाँ की भोजन-सूची को देखा और आश्चर्य से भर गया जब मैंने अभी तक की अपनी यात्राओं की सबसे स्वादिष्ट चीज़ को देखा – जई का दलिया! इससे पहले कि आप मुझे बेस्वाद अँगरेज़ कहकर दरकिनार करें, मुझे आपको याद दिलाने दें कि अब तक मैं अपने मीट के भोजनों और केक और मच्छी और चिप्स से काफी समय से दूर था। मैं 26 साल का था और एशियाई खाने का स्वाद मेरी फीकी स्वाद तंत्रिकाओं के आदि होने के लिए कठिन था। बड़ा कटोरा भर जई का दलिया मिलने पर मैं उसपर टूट पड़ा। मैं उसे आधा खा चुका था कि मेरे एक मित्र ने जो मेरे साथ था, मुझसे पुछा कि मैं क्या गुठलियाँ खा रहा था। तब मैंने ध्यान दिया कि दलिए में जो गांठें मैं खा रहा था वह कीड़े थे। इसने मुझे यह समझने में मदद की कि मेरे लिए समझदारी महीनों या सालों से पड़ा हुआ खाना खाने की बजाय एशियाई खाना खाने में थी।
आज हम एक विचित्र आदमी के बारे में देखेंगे जो जंगल में रहता था (लूका 1:80) और हम में से किसी से भी ज्यादा अजीबोग़रीब खुराक लेता था। वह टिडि्डयां और वन मधु खाया करता था। न केवल वह अजीबोग़रीब भोजन खाता था, लेकिन ऊंट के रोम का वस्त्र पहिने और अपनी कमर में चमड़ें का पटुका बान्धे, दिखने में भी अजीबोग़रीब था। (मरकुस 1:6) इसके बावजूद इस आदमी, यहुन्ना बत्पिस्मा देने वाले के विषय में येशु ने कहा:
11 मैं तुम से सच कहता हूँ, कि जो स्त्रियों से जन्मे हैं, उन में से यूहन्ना बपतिस्मा देनेवालों से कोई बड़ा नहीं हुआ; पर जो स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है वह उस से बड़ा है। (मत्ती 11:11)
यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले के विषय में ऐसा क्या था जिससे उसे येशु द्वारा इतनी प्रशंसा मिली कि उसे अब तक जीने वाला सबसे महान मनुष्य (मसीह के अलावा) कहकर बुलाया? क्या वह मूसा, अब्राहम, दानिय्येल और यिर्मियाह के बारे में भूल गया? वचन हमें बताता है कि: “1 और बहुतेरे उसके पास आकर कहते थे, कि युहन्ना ने तो कोई चिन्ह नहीं दिखाया, परन्तु जो कुछ यूहन्ना ने इस के विषय में कहा था वह सब सच था।” (यहुन्ना 10:41) क्या आप इसे समझे? यहुन्ना ने कभी कोई आश्चर्य-कर्म नहीं किया, लेकिन येशु ने कहा कि इससे महान कभी कोई मनुष्य नहीं हुआ। अगर यह उसके आश्चर्य-कर्मों में वरदानों के बारे में नहीं था, तो शायद यह उसके चरित्र के बारे में कुछ था जिससे हम सीख सकते हैं। आइये उस आदमी के जीवन में जिसने परमेश्वर को अत्यंत प्रसन्न किया, गहराई से देखने से पहले, यहुन्ना के सुसमाचार से अपने खंड को पढ़ें:
“19 यूहन्ना की गवाही यह है, कि जब यहूदियों ने यरूशलेम से याजकों और लेवीयों को उस से यह पूछने के लिये भेजा, कि तू कौन है? 20 तो उस ने यह मान लिया, और इन्कार नहीं किया परन्तु मान लिया कि मैं मसीह नहीं हूँ। 21 तब उन्हों ने उस से पूछा, तो फिर कौन है? क्या तू एलियाह है? उस ने कहा, मैं नहीं हूँ: तो क्या तू वह भविष्यद्वक्ता है? उस ने उत्तर दिया, कि नहीं। 22 तब उन्हों ने उस से पूछा, फिर तू है कौन? ताकि हम अपने भेजनेवालों को उत्तर दें; तू अपने विषय में क्या कहता है? 23 उस ने कहा, मैं जैसा यशायाह भविष्यद्वक्ता ने कहा है, जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हूँ कि तुम प्रभु का मार्ग सीधा करो। 24 ये फरीसियों की ओर से भेजे गए थे। 25 उन्हों ने उस से यह प्रश्न पूछा, कि यदि तू न मसीह है, और न ऐलिय्याह, और न वह भविष्यद्वक्ता है, तो फिर बपतिस्मा क्यों देता है? 26 यूहन्ना ने उन को उत्तर दिया, कि मैं तो जल से बपतिस्मा देता हूँ; परन्तु तुम्हारे बीच में एक व्यक्ति खड़ा है, जिसे तुम नहीं जानते। 27 अर्थात् मेरे बाद आनेवाला है, जिस की जूती का बन्ध मैं खोलने के योग्य नहीं। 28 ये बातें यरदन के पार बैतनिय्याह में हुई, जहां यूहन्ना बपतिस्मा देता था। 29 दूसरे दिन उस ने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है। 30 यह वही है, जिस के विषय में मैं ने कहा था, कि एक पुरूष मेरे पीछे आता है, जो मुझ से श्रेष्ठ है, क्योंकि वह मुझ से पहिले था। 31 और मैं तो उसे पहिचानता न था, परन्तु इसलिये मैं जल से बपतिस्मा देता हुआ आया, कि वह इस्त्राएल पर प्रगट हो जाए। 32 और यूहन्ना ने यह गवाही दी, कि मैं ने आत्मा को कबूतर की नाईं आकाश से उतरते देखा है, और वह उस पर ठहर गया। 33 और मैं तो उसे पहिचानता न था, परन्तु जिस ने मुझे जल से बपतिस्मा देने को भेजा, उसी ने मुझ से कहा, कि जिस पर तू आत्मा को उतरते और ठहरते देखे; वही पवित्रा आत्मा से बपतिस्मा देनेवाला है। 34 और मैं ने देखा, और गवाही दी है, कि यही परमेश्वर का पुत्र है।” (यहुन्ना 1:19-34)
चरित्र रखने वाले आदमी का गठन
यहुन्ना प्रचारक, इस सुसमाचार का लेखक, यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले की इस अहम गवाही को अपनी पुस्तक में पाई जाने वाली मुख्य सोच को, यह कि येशु ही मसीहा है, जीवित परमेश्वर का पुत्र, साबित करने के लिए हमारे सामने लाता है। यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले से हमारा परिचय यहुन्ना के सुसमाचार के छठें पद में, “एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था” के साथ होता है। जब भी परमेश्वर किसी अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करना चाहता है, वह ईश्वरीय चरित्र का पुरुष (या स्त्री) को तैयार कर फिर उसे भेजता है। कार्य जितना विशाल हो, उससे अधिक विशाल उस व्यक्ति के भीतर तैयारी आवश्यक है, जिसे परमेश्वर चुनता है। शायद वह ए.डब्लू. टोज़र थे जिन्होंने कहा, “परमेश्वर एक व्यक्ति को तब तक बड़े कार्य के लिए प्रयोग नहीं कर सकता जब तक वह उसे गहराई से चोट नहीं पहुँचा सकता।” परमेश्वर की योजना कभी बेहतर तरीकों की नहीं, लेकिन बेहतर लोगों की है। मेरा मानना है कि कुछ लोगों को परमेश्वर के भेजने से पहले ही सेवकाई के मार्ग पर भेज दिया जाता है। कलीसिया की बड़ी देह परमेश्वर के सेवकों को जल्दबाज़ी में सेवकाई के लिए अलग करने से पहले उन्हें इसके लिए लैस और तैयार करने में बुद्धिमान ठहरेगी। पौलुस प्रेरित तीमुथियुस को बिलकुल इसी बात की चेतावनी देता है। उसने कहा, “किसी पर शीघ्र हाथ न रखना” (1 तीमुथियुस 5:22) इससे पहले कि परमेश्वर के पुरुष या स्त्री को किसी अभूतपूर्व कार्य को करने के लिए भेजा जाए, ईश्वरीय चरित्र पहले उसके हृदय में बनना आवश्यक है। ड़ा० लोयड़-जोंस ने एक बार कहा, “एक आदमी के साथ होने वाली सबसे बुरी बात यह है कि वह तैयार होने से पहले ही सफल हो जाए।” आइये हम परमेश्वर की कलीसिया के लिए आवश्यक चारित्रिक गुणों को देखें और फिर यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले के इन आवश्यक गुणों को पा लेने को जाँचें।
हमारा चरित्र से क्या अर्थ है और एक पुरुष या स्त्री को परमेश्वर द्वारा आकृत चरित्र के बिना किसी कार्य के लिए भेज दिए जाने में क्या खतरे हैं?
चरित्र के लिए यूनानी शब्द है कर्रासो। फ्रैंक डेमाज़ियो इस शब्द के बारे में हमें अपनी उत्तम पुस्तक, द मेकिंग ऑफ़ अ लीडर में प्रकाशन देते हैं। वह कहते हैं:
“इसका अर्थ है एक निशान, एक खरोंच, एक नुकीला होना, खरोंचना या पत्थर, लकड़ी या धातु पर लिखना। इस शब्द का अर्थ नक्काशी करने वाला और सिक्के बनाने वाली मोहर निकल कर आता है। इससे, इसका अर्थ निकल कर आता है कि सिक्के पर नक्काशी की हुई मोहर की छाप, या लिखावट में एक विशेष शैली का अक्षर। यह यूनानी शब्द नए नियम में केवल इब्रानियों 1:3 में पाया जाता है। यहाँ, लेखक यह कथन कहता है कि मसीह स्वयं परमेश्वर का चरित्र है, परमेश्वर के स्वाभाव की मोहर, और वह एक जिसमें परमेश्वर ने अपने अस्तित्व की छाप या मोहर लगाई। फलस्वरूप, हम अपने अंग्रेजी शब्द “चरित्र” का अर्थ निकालते हैं कि यह एक व्यक्ति के उपर एक विशिष्ट निशानी की छाप है, या फिर इसे उसमें किसी बाहरी (या अंदरूनी) शक्ति द्वारा बनाया गया है।”
भले ही हम एहसास करें या नहीं, अग्वे नमूने होते हैं। अगर आप एक अग्वे हैं, कोई है जो आपके कहने से इतना कुछ नहीं सीख रहा है, जितना आप क्या करते हैं उससे। कोई मानुष अपने आप में एकाकी नहीं। हम सभी किसी न किसी पर भले या बुरे के लिए प्रभाव डालते हैं। हम जो छाप लोगों के जीवनों पर छोड़ते हैं उसके लिए जवाबदेह हैं। परमेश्वर सब देखता और जानता है। और सृष्टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरद हैं। (इब्रानियों 4:13) वह हमें इस आधार पर पुरस्कृत करेगा कि हमारे जीवन में और उन औरों के जीवनों में जिनपर हमने इस संसार में प्रभाव डाला है, मसीह के चरित्र की छाप कितनी है।
चरित्र इस बारे में नहीं है कि भविष्य में आप कैसे व्यक्ति बनेंगे लेकिन इस बारे में कि आप अभी कैसे व्यक्ति हैं। यह आपके हृदय, इच्छा और मंशा के बारे में है। जीवन एक परीक्षाओं की श्रृंखला है जिसे परमेश्वर ने पहले से ही तैयार कर लिया है और अब उसे वर्तमान में लागू कर रहा है। यह परीक्षाएं परमेश्वर द्वारा इस तरह रचीं जाती हैं कि इनसे आप वह व्यक्ति बन जाएँ जिसे होने के लिए परमेश्वर ने आपको बुलाया है। परीक्षा में सही प्रतिउत्तर हमारे चरित्र को विकसित करता है। डी.एल. मूडी, विख्यात सुसमाचार प्रचारक ने एक बार कहा, “अगर में अपने चरित्र का ध्यान रखूँगा, मेरी प्रतिष्ठा अपना ध्यान स्वयं रखेगी। एक ऐसा मनुष्य जो परमेश्वर के लिए महान बनने की राह पर है, ऐसा व्यक्ति है जो अपने भीतर अपने मन और हृदय में चल रही बातों के विषय में सावधान है। येशु ने कहा, “क्योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुंह पर आता है।” (लूका 6:45) आपकी सेवकाई आपके उस अंदरूनी स्वभाव का उमड़ना है जो आपका परमेश्वर के साथ अपके सम्बन्ध में है। परमेश्वर के साथ अपने व्यक्तिगत जीवन को विकसित करें और आपके जीवन का फल बहुतायत में होगा। आप अपनी अंदरूनी सोच अपने जीवन, अपने मन, इच्छा और हृदय के कुल जोड़ की उपज हैं। “23 सब से अधिक अपने मन की रक्षा कर; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है।” (नीतिवचन 4:23)
यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले को परमेश्वर द्वारा भेजे जाने से पहले कैसे तैयार किया गया था?
हमें यह नहीं पता कि यह किस समय हुआ, लेकिन हमें यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले के बारे में यह बताया गया है:
“और वह बालक बढ़ता और आत्मा में बलवन्त होता गया, और इस्राएल पर प्रगट होने के दिन तक जंगलों में रहा।” (लूका 1:80)
वचन उस समय के धार्मिक पाठशालाओं के धार्मिक प्रशिक्षण के बारे में कुछ नहीं बताता। यहाँ एक स्पष्ट सम्भावना है कि ऐसा हुआ हो क्योंकि हम जानते हैं की उसे एक याजक परिवार में पाला-पोसा गया था। दोनों ज़करिया और इलीशिबा, यहुन्ना के माता-पिता, हारुन के वंशज थे। (लूका 1:5) हमें बताया गया है कि किसी समय पर वह जंगल में रहने चला गया। उपर दिए गए वचन से हमें यह जानकारी मिलती है कि जब वह जंगल में रहने गया वह बालक था, शायद अपने बूढ़े माता-पिता की मृत्यु के बाद।
अपनी सेवकाई के लिए तैयारी में इस परमेश्वर के जन की अगवाई जंगल में जीने के लिए क्यों हुई? एक आदमी जंगल में ऐसा क्या सीख सकता है जो वह शहर में नहीं सीख सकता?
आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि पुरुष और स्त्री परमेश्वर की आवाज़ को सुनें। यह हमारे व्यस्त, लक्ष्य-आधारित, सफलता-प्रेरित, काम में डूबे रहने वाले जीवनों में सरल नहीं। परमेश्वर शांत (ख़ामोश) नहीं है; समस्या है हमारी अपने व्यस्त जीवनों को थोड़ा शांत कर उसे सुनने की हमारी क्षमता। अय्यूब ने कहा, “क्योंकि ईश्वर तो एक क्या वरन दो बार बोलता है, परन्तु लोग उस पर चित्त नहीं लगाते।” (अय्यूब 33:14) यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले ने यर्दन के जंगलों या बियाबान में प्रकृति पर आधारित रह जीवित रहना सीखा, परमेश्वर की आवाज़ को सुनना सीखते हुए। यह रुचिकर प्रतीत होता है कि येशु, मूसा, यहोशू, और याकूब ने इतना समय जंगल में या बियाबान के स्थानों में गुज़ारा। पौलुस प्रेरित ने कहा कि अपने मनफिराव के बाद वह अरब में चला गया, एक बहुत रेगिस्तानी क्षेत्र (गलातियों 1:17) जब लगभग बीस लाख इस्राइली मिस्र से निकले, परमेश्वर उन्हें यह सिखाने कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो वचन यहोवा के मुँह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है, बियाबान के स्थानों में लेकर गया।
2 और स्मरण रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा उन चालीस वर्षों में तुझे सारे जंगल के मार्ग में से इसलिये ले आया है, कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा करके यह जान ले कि तेरे मन में क्या क्या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा या नहीं।3 उसने तुझ को नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा ही जानते थे, वही तुझ को खिलाया; इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुँह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है। 4 इन चालीस वर्षों में तेरे वस्त्र पुराने न हुए, और तेरे तन से भी नहीं गिरे, और न तेरे पांव फूले। (निर्गमन 8:2-4)
एक सूखे, बंजर, बियाबान के स्थान या रेगिस्तान में होने में आप क्या अनुभव करेंगे?
सत्तर के दशक के आख़िरी वर्षों में मैं कई महीनों इजराइल में रहा। जब मैं वहाँ था, मैं एक सप्ताह बिर्शीबा में, जो नेगेव रेगिस्तान के किनारे पर है, रह पाया था। एक सुबह मैं यह अनुभव करने कि यह कैसा होगा, रेगिस्तान में टहलने निकल गया। मैं बहुत सावधान था कि मैं ज्यादा दूर न चले जाऊं, कहीं वापसी का रास्ता न ढूंढ पाऊं। जिस बात ने मुझे हिला दिया वह था एकांत और शान्ति। वहाँ कोई हवा नहीं और केवल संयोग से ही कोई चिड़िया पास आती। सब कुछ छीन लिया या अलग हो जाता है। एक जन अकेला है और बात करने के लिए केवल परमेश्वर। इस बात पर ध्यान देना रुचिकर है कि जब इब्रानी शब्द मिडबार, जिसका अनुवाद अंग्रेजी के हमारे शब्द डेज़र्ट या हिंदी में रेगिस्तान से किया जाता है, यह बोलना शब्द का मूल है, जिसके लिए इब्रानी शब्द मिडीबेयर है। रेगिस्तान एक ऐसा स्थान है जहाँ किसी और चीज़ का अस्तित्व नहीं है, बस केवल परमेश्वर और हमें हमारे मार्गों में रोकती उसकी आवाज़। परमेश्वर हमें जीवन में ऐसे समयों से होकर गुजरने देता है जहाँ हमें दीन किया जाता है और हमारी परीक्षा होती है, जहाँ जो कुछ हम कर लें बेकार और निष्फल प्रतीत होता है। ऐसा क्यों? ताकि उसे हमारा ध्यान मिल सके! ऐसा नहीं है कि परमेश्वर को जानने की ज़रूरत है कि आपके हृदय में क्या है; वह हमारे बारे में सब पहले से ही जानता है। इसे हमें जानने की ज़रूरत है कि हमारे हृदयों में क्या है और फिर उसकी ओर रुख़ करना है, उसके संसाधनों पर निर्भर होना सीखते। हम तभी बदल सकते हैं जब हम अपने हृदयों को उसी तरह से देखें जैसे परमेश्वर हमें देखता है।
यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले के हृदय का उमड़ना
परमेश्वर के कार्यक्रम में सही समय पर, लगभग 30 साल की आयु पर, यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले ने लोगों को मन फिराव के लिए बुलाने की अपनी सवकाई आरंभ की। परमेश्वर ने ऐसा कैसे किया मुझे पता नहीं, लेकिन परमेश्वर ने लोगों के झुंडों को यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले को मन फिराव के बपतिस्मे के बारे में बात करते सुनने के लिए रेगिस्तान में लाना शुरू कर दिया। उसका संदेश यहूदिया के जंगल से शुरू हुआ:
“2 मन फिराओ; क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है। 3 यह वही है जिस की चर्चा यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा की गई कि जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द हो रहा है, कि प्रभु का मार्ग तैयार करो, उस की सड़कें सीधी करो।” (मत्ती 3:2-3)
लूका हमें बताता है कि येरूशलेम से यहूदी लोग आए, यर्दन नदी के सबसे नजदीकी भाग तक के लिए लगभग 16 मील की दूरी तय कर, अगर वाकई में वो जगह थी, वहीँ जहाँ वह बप्तिस्मा देता था। लूका हमें आगे बताता है कि वह यर्दन नदी के आस-पास के सारे देश में घूमा, पापों की क्षमा के लिए मन फिराव के बपतिस्मे का प्रचार करते। अगर आज आपको यकायक उस क्षेत्र में पहुँचा दिया जाए तो आप वहां एक बंजर सा बियाबान पाएंगे। यह मृत सागर लेख के पाए जाने वाले स्थान के उत्तर में है। यह समुद्र तल से 1300 फीट नीचे धरती का यह सबसे निचला स्थान एक बंजर बियाबान है। सर्दी के समय में यह रात के समय बहुत ठंड़ा, लेकिन दिन के समय भयानक गर्म है। फिर भी परमेश्वर यहुन्ना द्वारा बप्तिस्मा दिए जाने के लिए लोगों को वहाँ लेकर आया।
लूका वर्णन करता है कि वहाँ लोगों की भीड़ उसके द्वारा बप्तिस्मा ले रहे थे (लूका 3:7) यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले ने इस प्रसिद्धि को कैसे लिया? एक मनुष्य के बोल प्रकट करते हैं कि उसका हृदय कहाँ है, लेकिन हम यहुन्ना को अपनी सफलता से अभिभूत बिलकुल नहीं पाते हैं। वह हर अवसर पर अपने उपर से ध्यान हटाता है। जब यहूदी अग्वों ने याजक और लेवियों को वह पता लगाने भेजा कि क्या वह एलिया है, यहुन्ना यह कहने में तत्पर था, “मैं नहीं हूँ।” “क्या तू वह नबी है?” उन्होंने पूछा। नबी एक मनुष्य था जिसके आने की प्रतिज्ञा परमेश्वर ने की थी। वह मूसा जैसा होगा (व्यवस्थाविवरण 18:15) और परमेश्वर ने कहा कि वह उन सभी को जो उसके वचनों को नहीं सुनेंगे, उनसे हिसाब लेगा। (व्यवस्थाविवरण 18:18-19) येशु वह नबी है जिसे परमेश्वर भेजेगा, परमेश्वर और मनुष्य के बीच में वाचा की शुरुआत करने वाला। यहुन्ना इस बात तो स्वीकारने में तत्पर था कि वह नबी वो नहीं है। “तू है कौन? ताकि हम अपने भेजनेवालों को उत्तर दें; तू अपने विषय में क्या कहता है?” (यहुन्ना 1:22)
अभी तक के आपके मसीही जीवन के बारे में आपका अंगीकार क्या होगा? आप कौन हैं? क्या आपके जीवन की शैली उसे दर्शाती है जो परमेश्वर आपको बना रहा है? आप अपने बारे में क्या कहते हैं? आप कहाँ से आए हैं और आपका उद्देश क्या है?
यहुन्ना ने जंगल में एक पुकारनेवाले का शब्द होने; कि वह प्रभु का मार्ग सीधा करे, होने के सिवाए कोई दावा नहीं किया। येशु और तीनों सुसमाचारों में हमें बताता है कि फरीसियों और लोगों के अग्वों ने यह नहीं माना कि यहुन्ना को परमेश्वर द्वारा बप्तिस्मा देने का अधिकार दिया गया था। (मति 21:26; मरकुस 11:31; लूका 20:5) यहूदियों के अग्वों ने सोचा था कि उन्होंने इजराइल में धर्म के बाज़ार पर पैठ बना ली है, और उन्होंने तो निश्चित ही यहुन्ना को ऐसा कुछ करने का अधिकार नहीं दिया था जो इजराइल में अनसुना था, यहूदियों को मन फिराव के लिए बप्तिस्मा देना। उस समय केवल वही अन्य जाति लोग बप्तिस्मा लेते थे जो यहूदी धर्म अपनाना चाहते थे। धार्मिक अग्वे और फरीसी बपतिस्मे की शुद्धि की कोई आवश्यकता नहीं देखते थे। यहुन्ना के हृदय का उमड़ना वो कथन था कि वह मसीह की जूती के बन्ध को खोलने जैसे तुच्छ कार्य के योग्य भी नहीं, एक ऐसा कार्य जिसे अपने रब्बी के लिए करने की अपेक्षा किसी शिष्य से कभी नहीं की जाती थी।
क्या आप इस समय अपनी आत्मिक यात्रा में एक सूखे, रेगिस्तान जैसे स्थान पर हैं? अपने वर्तमान के अनुभव को एक दूसरे से बाँटें। हम अपने समय के अंत में एक दूसरे के लिए प्रार्थना करेंगे।
मसीह के आने से पहले किसी अग्र-दूत की आवश्यकता क्या है?
यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले के प्रकट होने से पाँच सौ वर्ष पूर्व, यशायाह नबी ने भविष्यवाणी की थी कि उसकी सेवकाई प्रतिज्ञा किये हुए मसीह के प्रकट होने से पूर्व उसके लिए मार्ग तैयार करना और लोगों के हृदयों को कोमल करना है। यहुन्ना नबी ने कहा:
“3 किसी की पुकार सुनाई देती है, जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये बियाबान में एक राजमार्ग चौरस करो। 4 हर एक तराई भर दी जाए और हर एक पहाड़ और पहाड़ी गिरा दी जाए; जो टेढ़ा है वह सीधा और जो ऊंचा नीचा है वह चौरस किया जाए। 5 तब यहोवा का तेज प्रगट होगा और सब प्राणी उसको एक संग देखेंगे; क्योंकि यहोवा ने आप ही ऐसा कहा है।” (यशायाह 40:3-5)
मेर्रिल टेनी यहाँ पर अपनी व्याख्या में हमारी मदद करते हैं:
“यह बिम्ब उन दिनों से लिया गया है जब पक्की सडकें नहीं होती थीं, केवल खेतों में पगडंडियाँ थीं। अगर राजा को यात्रा करनी है तो सड़क को बना समतल किया जाना होगा ताकि शाही रथ के लिए यात्रा करना कठोर न हो, और न ही वह दलदल में फंस जाए।”
हम में से भी कई, यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले के दिनों में इजराइलियों के जैसे, रेगिस्तान में लम्बे समय से चलते आए हैं। हम इस जीवन में चलने के अनुभव में घाटी से पहाड़ों से होकर गुज़रते हैं। हम ऊपर जाते हैं और फिर नीचे। अब समय है कि हमारे सामने का मार्ग समतल किया जाए, घाटी को उठा दिया जाए, पहाड़ी को नीचा कर दिया जाए, और कि हमारी कठोर भूमि को समतल किया जाए। सब मनुष्यों के लिए, कहीं भी हों, यहुन्ना का मुख्य सन्देश था; “मन फिराओ; क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आ गया है।” (मति 3:2) मन फिराव हमारे लिए ऐसा करता है। हम में से कई इस यात्रा में अपने साथ कुछ ज्यादा ही बोझा ढ़ोते हैं, और अब समय है कि उस हर एक बोझ को फैंक दें जो हमें हमारे सम्मुख पथ पर ठोकर खाने का कारण बनता है।
मन फिराव क्या है और मसीही जीवंन में इसका क्या मूल्य है?
मन फिराव का शाब्दिक अर्थ मन का बदल जाना है, जिससे दिशा में परिवर्तन हो। सी.एच. सपरजियन, महान ब्रिटिश उपदेशक ने एक बार ऐसा कहा, “पाप और नरक तब तक शादीशुदा हैं जब तक मन फिराव उनके तलाक की घोषणा नहीं करता। कहीं भी ऐसा नहीं है कि परमेश्वर ने ऐसे पाप को क्षमा करने की ठानी हो जिसे त्यागने के लिए मनुष्य इच्छुक नहीं।” मन फिराव उन बातों की जड़ों को खोदता है जिन्होंने हमें अपने पापों की बंधुवाई में जकड़े रखा है। अक्सर मन फिराव के साथ उन बातों के लिए तहे दिल से घृणा की आवश्यकता है जो हमारे आत्मा और सोच के जीवन के लिए कटु विष का कार्य करते हैं।
इसलिये ऐसा न हो, कि तुम लोगों में ऐसा कोई पुरूष, या स्त्री, या कुल, या गोत्र के लोग हों जिनका मन आज हमारे परमेश्वर यहोवा से फिर जाए, और वे जाकर उन जातियों के देवताओं की उपासना करें; फिर ऐसा न हो कि तुम्हारे मध्य ऐसी कोई जड़ हो, जिस से विष या कडुआ बीज उगा हो (व्यवस्थाविवरण 29:18)
हमारा शत्रु, शैतान, हमें अपने पापों में ऐसी मसीहत के द्वारा जकड़े रखने की कोशिश करता है जहाँ हमने सच्चाई से कभी उन बातों से मन फिराव और त्याग नहीं किया है जिन्होंने हमें अपने पाप से जोड़े रखा है। कभी-कभी इसके लिए आपको वह करने की आवश्यकता हो जो यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले ने करने को कहा:
7 जो भीड़ की भीड़ उस से बपतिस्मा लेने को निकल कर आती थी, उन से वह कहता था; हे सांप के बच्चो, तुम्हें किस ने जता दिया, कि आनेवाले क्रोध से भागो। 8 सो मन फिराव के योग्य फल लाओ: और अपने अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता इब्राहीम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि परमेश्वर इन पत्थरों से इब्राहीम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है। 9 और अब ही कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर धरा है, इसलिये जो जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है। 10 और लोगों ने उस से पूछा, तो हम क्या करें? 11 उस ने उनहें उतर दिया, कि जिस के पास दो कुरते हों? वह उसके साथ जिस के पास नहीं हैं बांट दे और जिस के पास भोजन हो, वह भी ऐसा ही करे। 12 और महसूल लेनेवाले भी बपतिस्मा लेने आए, और उस से पूछा, कि हे गुरू, हम क्या करें? 13 उस ने उन से कहा, जो तुम्हारे लिये ठहराया गया है, उस से अधिक न लेना। 14 और सिपाहियों ने भी उस से यह पूछा, हम क्या करें? उस ने उन से कहा, किसी पर उपद्रव न करना, और न झूठा दोष लगाना, और अपनी मजदूरी पर सन्तोष करना। (लूका 3:7-14)
शायद आपने जो किया उससे किसी दूसरे को चोट पहुँची – तो शायद आपको उसके पास जाकर जिसे चोट पहुँची, क्षमा मांगने की आवश्यकता है। शायद आपको इसके लिए कोई मुआवज़ा भी चुकाना पड़े। मुझे याद है कि एक युवा मसीह की तरह मैं अपने हृदय में तब शांति नहीं बना पा रहा था जब मैंने अनजाने में किसी अन्य मछवारे के एक स्थान पर पहले से ही रखे जाल के उपर अपनी नाव और जाल चढ़ा दिए थे। मैंने अगली सुबह ही यह एहसास किया कि मैंने उन्हें नुक्सान पहुँचा दिया है। मुझे लगा कि मेरे पास जायज़ कारण था क्योंकि मैं रात में मच्छी पकड़ रहा था और उन्हें नहीं देख पाया। परमेश्वर के अलग विचार थे! उसने मुझसे उन जालों के मालिक के घर जाकर बिलकुल नए जालों के लिए पैसा देने का कार्य कराया। सच्चा मन फिराव इच्छा का होता है न कि केवल मन का। जब परमेश्वर का आत्मा आपके जीवन के उन क्षेत्रों पर अपनी ऊँगली रखेगा जिनसे वह चाहता है आप निपटें, आपका जीवन बदलने लगेगा। आपके लिए मेरे सुझाव यह है कि आप परमेश्वर से मांगें कि वह आपके जीवन के किन क्षेत्रों के बारे में चाहता है कि आप उनसे निपटें और फिर एक रणनीति या आदत रचें जो उस क्षेत्र को मसीह के नियंत्रण में लेकर आए।
यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले के चारित्रिक गुण:
1. समझौता नहीं। यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाला लोगों को खुश करने वाला नहीं था! वह अपने विश्वास से समझौता नहीं करता था। जब राजा हेरोदेस ने अपने भाई फिलिप की पत्नी को अपने लिए ले लिया, यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले ने यह जानते हुए कि हेरोदेस किस प्रकार का आदमी है, उसे फटकारा और उसे बताया कि यह न्यायसंगत नहीं है। यहुन्ना अपने विश्वास में अडिग खड़ा रहा और एक क्रोधी राजा के सम्मुख भी, उसे यह बताते हुए कि उसके भाई की पत्नी को अपने लिए ले लेना न्यायसंगत नहीं है, उसने अपनी मूल मान्यताओं से समझौता नहीं किया। उसके समझौता न करने वाले विश्वास की कीमत उसका जीवन रहा।
2. उसने अपनी मण्डली को दे दिया। जब कुछ लोग यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले के पास यह कहते हुए आए कि येशु के चेले बपतिस्मा दे रहे है, और सब उसके पास जा रहे हैं (यहुन्ना 3:26), यहुन्ना का आचरण ऐसी ख़बर से आनंद से भरा था। उसने उत्तर में कहा, “अवश्य है कि वह बढ़े और मैं घटूँ।” (यहुन्ना 3:30) यह हमारे लिए भी एक महान सत्य है। हमारे भीतर भी मसीह की प्रधानता होनी चाहिए और हमारे मार्ग कम, और कम महत्वपूर्ण होते चले जाने चाहिए।
3. परमेश्वर के बदले के मेमने का गवाह। यहूदी लोग यह मानते थे और आज भी यही सिखाते हैं कि यशायाह 53 का सताए हुए सेवक का भाग इजराइल राष्ट्र के बारे में बात कर रहा है। यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाला उन्हें यह आश्वासन देता है कि परमेश्वर का मेमना उनके बीच था, वह एक जो सारे संसार के पाप ले लेगा। लोगों ने यहुन्ना के पीछे आना छोड़ दिया और उसकी गवाही के कारण मसीह के पीछे चलने लगे। परमेश्वर का एक सच्चा जन अपने से दूर उद्धारकर्ता की ओर इशारा करता है।
4. उसकी दीनता। एक व्यक्ति के बोल इस ओर इशारा करते हैं कि उसका हृदय कहाँ हैं। यहुन्ना ने अपने आप को केवल जंगल में पुकारनेवाला कहा, एक सेवक जो अपने स्वामी की जूती के बन्ध भी खोलने योग्य नहीं, एक ऐसा जो उद्धारकर्ता की ओर इशारा कर रास्ते से हट जाने के लिए समर्पित है। हम उसकी नक़ल लेने में अपने लिए भला करेंगे। ऐसा करने के लिए हमें जंगल में जाने की आवश्यकता नहीं। परमेश्वर ने हमें वहाँ नहीं बुलाया। उसने हमें एक सीखने वाला (चेला) और जो परमेश्वर ने हमारे जीवन में किया है, उसका गवाह होने के लिए बुलाया है।
अपने समय के अंत में एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें। ख़ास तौर से उनके लिए प्रार्थना करें जिन्हें एहसास हुआ कि वह रेगिस्तान जैसे स्थान पर हैं और जिससे वह होकर गुज़र रहे हैं उसके लिए उन्हें परमेश्वर से सुनने की आवश्यकता है। अगर परमेश्वर ने आपसे आपके जीवन के किसी ऐसे क्षेत्र के बारे में बात की है जो अभी भी पाप की जड़ पकडे है, मन फिराएं, अपने पाप से मुँह मोड़ लें और परमेश्वर से इसमें मदद मांगें।