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4. The Parable of The Sower

4. बीज बोन वाले का दृश्टान्त

क्या आप हमारी संस्कृति में लोकप्रिय किसी भी स्वयं-सहायता, प्रेरणा देने वाले वक्ता के बारे में सोच सकते हैं? मसीह की शिक्षाएं इन स्वयं सहायता गुरुओं से किस तरह से भिन्न हैं?

 

1उसी दिन यीशु घर से निकलकर झील के किनारे जा बैठा। 2और उसके पास ऐसी बड़ी भीड़ इकट्ठी हुई कि वह नाव पर चढ़ गया, और सारी भीड़ किनारे पर खड़ी रही। 3और उसने उनसे दृष्टान्तों में बहुत सी बातें कहीं, कि देखो, एक बोनेवाला बीज बोने निकला। 4बोते समय कुछ बीज मार्ग के किनारे गिरे और पक्षियों ने आकर उन्हें चुग लिया। 5कुछ पत्थरीली भूमि पर गिरे, जहाँ उन्हें बहुत मिट्टी न मिली और गहरी मिट्टी न मिलने के कारण वे जल्द उग आए। 6पर सूरज निकलने पर वे जल गए, और जड़ न पकड़ने से सूख गए। 7कुछ झाड़ियों में गिरे, और झाड़ियों ने बढ़कर उन्हें दबा डाला। 8पर कुछ अच्छी भूमि पर गिरे, और फल लाए, कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना। 9जिस के कान हों वह सुन ले। (मत्ती 13:1-9)

 

18सो तुम बानेवाले का दृष्टान्त सुनो। 19जो कोई राज्य का वचन सुनकर नहीं समझता, उसके मन में जो कुछ बोया गया था, उसे वह दुष्ट आकर छीन ले जाता है; यह वही है, जो मार्ग के किनारे बोया गया था। 20और जो पत्थरीली भूमि पर बोया गया, यह वह है, जो वचन सुनकर तुरन्त आनन्द के साथ मान लेता है। 21पर अपने में जड़ न रखने के कारण वह थोड़े ही दिन का है, और जब वचन के कारण क्लेश या उपद्रव होता है, तो तुरन्त ठोकर खाता है। 22जो झाड़ियों में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनता है, पर इस संसार की चिन्ता और धन का धोखा वचन को दबाता है, और वह फल नहीं लाता। 23जो अच्छी भूमि में बोया गया, यह वह है, जो वचन को सुनकर समझता है, और फल लाता है कोई सौ गुना, कोई साठ गुना, कोई तीस गुना। (मत्ती 13:18-23)

 

जब हम मत्ती के सुसमाचार में इस खंड पर आते हैं, हम यीशु को गलील समुद्र के किनारे पर देखते हैं, जहां वो एक बड़ी भीड़ को संबोधित करने के लिए तैयार हो रहा है। उसके उपदेश और शिक्षा को सुनने के लिए इतने सारे लोग भूखे थे कि भीड़ के किनारे के लोग यीशु के करीब पहुँचने की कोशिश में धक्का दे रहे थे। प्रभु बुद्धिमानी से वहाँ एक नौका में बैठ गया और उसे किनारे से थोड़ा बाहर धकेल दिया। इसने उनकी आवाज़ को पानी से प्रतिबिंबित होकर बड़ी भीड़ तक पहुँचने के लिए प्रबल किया। बीज बोनेवाला का दृष्टांत बीज रखने वाले या स्वयं बीज के साथ समस्या के विषय में नहीं है। इस दृष्टान्त में केंद्र मिट्टी के विषय में है। मिट्टी में फर्क के बारे में बात करने से पहले आइये जो बीज बोया गया था उसके बारे में बात करते हैं। यीशु का सुसमाचार ही बीज की गिरी है।

 

सुसमाचार के साथ गड़बड़ क्या है?

 

मैं नि:संदेह कहूँगा, बिल्कुल कुछ नहीं! - यदि यह जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं प्रभु यीशु मसीह का सुसमाचार है। सुसमाचार शब्द का क्या अर्थ है? यह इस विषय में एक संदेश है कि यीशु कौन है और उसने पाप में पड़ी मानव जाति को शैतान के चंगुल से छुड़ाने (मोल लेने) के लिए क्रूस पर क्या सम्पूर्ण कार्य किया है। हम एक ऐसे समय में रहते हैं जब पूरे विश्व में मसीही प्रचारकों ने सुसमाचार को इतना निर्बल बना दिया है कि कई लोगों ने यीशु मसीह के सच्चे सुसमाचार को सुना ही नहीं है और इस बात को महसूस भी नहीं करते हैं। आज जो झूठा सुसमाचार सुना जाता है वह अधिक इस बारे में है कि अपने जीवन में क्रांति कैसे लाएं और एक बेहतर व्यक्ति कैसे बनें। यह अपने दिमाग के जाले साफ़ कर अपनी मानसिक रुकावटों से उबरने के बारे में ज्यादा है। ज़रूरतों को पूर्ण करने वाली गोष्ठियाँ ऐसे बढ़िया ज़रिए तो हैं जो लोगों की मदद कर सकते हैं, लेकिन यह सुसमाचार नहीं है! निश्चित रूप से व्यावहारिकशिक्षा का एक स्थान है जिससे लोगों के जीवनों को सुधारा जा सकता है। हालांकि, मेरा मानना ​​है कि सुसमाचार में और वह जो सुसमाचार नहीं है, उसके बीच भेद करना महत्वपूर्ण है। मुझे गलत मत समझिए। हमें समझने में अवरुद्ध किए करने वाली बातों के बिना सुसमाचार को स्पष्ट करना चाहिए। कभी-कभी, कलीसिया अपनी शब्दावली और ऐसे व्यवहारों से जो धर्मी नहीं हैं लेकिन एक प्रकार से कलीसिया की संस्कृतिबन गए हैं, लोगों को पीछे हटा देती है। अगर कुछ ऐसी बात है जो लोग यीशु को स्पष्ट रूप से देखने में बाधा बन रही है, तो उससे छुटकारा पाएं! यीशु एक चुंबकीय व्यक्तित्व था, और लोगों को उसके आस-पास होना बहुत पसंद था, लेकिन फिर भी वह हर समय लोगों को नाराज़ करता और उन्हें चुनौती देता था! अगर हम यीशु को वैसा ही प्रस्तुत करते हैं जैसा वो है, तो मेरा विश्वास कीजिये, लोग उसके साथ प्रेम में पड़ जाएंगे। लेकिन, हमारी आत्माओं का शत्रु एक अलग सुसमाचार को बढ़ावा देता है, एक ऐसा सुसमाचार जो मसीह पर ध्यान केंद्रित नहीं करता, बल्कि कुछ और पर। प्रेरित पौलुस ने भी अपने समय में इसी तरह की कठिनाई का सामना किया। गलतियों की कलीसिया से बात करते हुए, वह कहते हैं:

 

6मुझे आश्चर्य होता है, कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह से बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। 7परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं: पर बात यह है, कि कितने ऐसे हैं, जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। 8परन्तु यदि हम या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हमने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो। 9जैसा हम पहले कह चुके हैं, वैसा ही मैं अब फिर कहता हूँ, कि उस सुसमाचार को छोड़ जिसे तुमने ग्रहण किया है, यदि कोई और सुसमाचार सुनाता है, तो शापित हो। अब मैं क्या मनुष्यों को मानता हूँ या परमेश्वर को? क्या मैं मनुष्यों को प्रसन्न करना चाहता हूँ? (गलातियों 1:6-9)

 

यह अजीब है कि कैसे शैतान की रणनीतियों में बदलाव नहीं होता। जिस समय में हम रहते हैं, विश्व भर में हम बाइबल के प्रमुख सिद्धांतों के बारे में बहुत कम सुनते हैं। अक्सर, ये शब्द, जैसे मसीह का लहू, मसीह का प्रतिस्थापन, मसीह का क्रूस, पश्चाताप, नरक और पाप को प्रचारकों की शब्दावली से हटा लिए गए हैं। जब पाप का उल्लेख किया जाता है, तो पाप क्या है इस विषय में कोई परिभाषा नहीं होती। फिर, पश्चाताप शब्द है। कुछ वक्ताओं को इस शब्द का उपयोग स्वीकार्य नहीं और उन्हें यह पुराने ज़माने का लगता है, लेकिन भले ही शब्द का प्रयोग नहीं भी किया गया हो, लेकिन आज ले समय में प्रयोग हो रहे इस शब्द के अर्थ और मन फिराने की क्रिया के अर्थ का स्पष्टीकरण होना चाहिए। आज, हमें अक्सर बिना अपने मन को बदले और स्वयं के प्रति मृत होने की गुहार के बिना ही बस केवल सुसमाचार पर विश्वास करने के लिए कहा जाता है। विश्वास शब्द का उनका क्या अर्थ है? अक्सर, ऐसा प्रतीत होता है कि हमें सिर्फ मसीह ने जो किया है, उसके तथ्यों को स्वीकार करना होगा।

 

पाप शब्द की अनुपस्थिति में, यह परिभाषित करने के लिए कि पाप का अर्थ परमेश्वर की पवित्रता को न हासिल कर पाना है और पाप की क्षमा करने के लिए मसीह की ओर मुड़ने की ज़रूरत है, दस आज्ञाओं के उपयोग के कोई मायने नहीं। अगर इस विषय में कोई समझ नहीं है कि हम कैसे व्यवस्था का उल्लंघन कर दोषी ठहर गए हैं, तो पवित्र आत्मा संसार को पाप के लिए कैसे दोषी ठहरा सकता है? ध्यान दें कि दस आज्ञाओं को अमरीकी संयुक्त राष्ट्र के कई सार्वजनिक स्थानों से हटा दिया गया है। मुझे लगता है कि यह दु:ख की बात है। क्या हम यह भूल गए हैं कि पाप का बोध ही वह बात है जो लोगों को क्रूस तक लेकर आती है? ऐसे सुसमाचार के साथ मसीह का क्रूस किसी प्रभाव का नहीं। बहुत से लोग एक उद्धारकर्ता की अपनी आवश्यकता को नहीं देखते क्योंकि उन्हें एक पवित्र परमेश्वर के सम्मुख अपने व्यक्तिगत पाप के विषय में कोई जानकारी नहीं है। शिमोन जो फरीसी था, उसके साथ यही समस्या थी जब पाप में पड़ी स्त्री ने लूका 7: 36-50 में यीशु के चरणों का अभिषेक किया। वह परमेश्वर के सम्मुख अपने ही पाप के बारे में जागरूक नहीं था, और प्रभु के प्रति उसके प्रेम की कमी स्पष्ट थी। यदि आपके समुदाय में सुसमाचार का बहुत प्रभाव नहीं पड़ रहा है, तो यह सच्चे सुसमाचार के बीज की कोई समस्या नहीं है। जब हम सुसमाचार के प्रमुख सत्यों को निकल देते हैं, तो हम यह सोचते हुए कि हमारे पास अभी भी सुसमाचार है उसे निर्बल बना देते हैं, लेकिन जिस सुसमाचार का हम प्रचार करते हैं वो एक आनुवंशिक रूप से संशोधित/ परिवर्तित? जीव की तरह है- यह अब परमेश्वर के जीवन को वहन नहीं करता और न ही ठीक प्रकार से नए फल लाता है।

 

एक बात जो यीशु ने लगातार की वो था एक प्रतिक्रिया माँगना। वह इस तरह एक प्रश्न तैयार करता कि सुनने वालों के पास अपने हृदयों की जाँच किए बिना उस परिस्थिति से निकलने का कोई रास्ता नहीं होता। उन्हें यह निर्धारित करना होता कि उनकी प्रतिक्रिया क्या होगी। अगर आज यीशु अपने प्रचार के तरीके के जाए, तो क्या हमारी कलीसियाओं में उसका स्वागत होगा, या फिर उसके संदेश कुछ ज्यादा ही चुभने वाले, उसके तरीके कुछ ज्यादा ही प्रत्यक्ष होंगे? क्या हम उसके शब्दों का स्वागत करते हैं या किसी ऐसे व्यक्ति को सुनना पसंद करेंगे जो अपनी शिक्षाओं को हमारी स्थिति के अनुरूप ढाल सके? यदि हम अपने जीवन और कलीसियाओं में वास्तविक परिवर्तन देखना चाहेंगे, तो हमें परमेश्वर के वचन की समर्थ को अपने जीवन में कार्य करने की अनुमति देने आवश्यकता है। सुसमाचार फल लेकर आएगा

 

यदि आप अपने विषय में विश्वास का एक दूत होने में संदेह करते हैं, तो इस बात से प्रोत्साहित हो जाइए कि संदेश की सामर्थ बीज में निहित है और संदेशवाहक में नहीं है। आपका जीवन मसीह के सामर्थ की गवाही हो सकता है, लेकिन केवल सुसमाचार का बीज ही नया जीवन उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त है। सुसमाचार अच्छी खबर है और वास्तव में यही वो है जो लोग चाहते हैं और जिसे सुनने की उन्हें जरूरत है। उनका जीवन नया हो सकता है परमेश्वर हमारे टूटे जीवन के बदले में अपना जीवन पेश करता है यह किसी भी स्वयं सहायता शिक्षक की पेशकश की तुलना में बेहतर है। यह अंत में इसपर निर्भर है: क्या हम वाकई विश्वास करते हैं कि परमेश्वर का वचन सामर्थी और सक्रिय है (इब्रानियों 4:12) क्या हम वास्तव में विश्वास करते हैं कि इसमें जीवन बदलने की सामर्थ है?

 

मुझे पता है कि यह केवल मसीह का संदेश ही है जो मेरे जीवन को बदल सकता है। मैंने पहले कई बार कोशिश की और असफल रहा। मैंने कई अन्य चीजों के साथ ही वचन को भी पढ़ा था, लेकिन जब मैंने सचमुच में पहली बार सुसमाचार सुना और प्रतिउत्तर दिया, तब मेरा जीवन बदल गया। आत्मा ने आकर वचन का साथ दिया और मुझे नया जीवन मिला, सिर्फ एक बेहतर जीवन। मैंने पहले अपनी जिंदगी में सुधार करने के लिए कई बार कोशिश की थी, और असफल रहा। मुझे एक नए जीवन की आवश्यकता थी, जो जैसा हमें पता है, एक नए बीज के साथ शुरू होगा। वह जीवन बीज में है, और बीज परमेश्वर का वचन है।

 

सच्चा मसीही जीवन आत्म-सुधार के बारे में नहीं है, बल्कि स्वयं के प्रति मृत होने का एक साधन है कि हम अकेले परमेश्वर के लिए जीवित रह सकें। .ड़ब्लू. टोज़र ने कहा:

 

मनुष्यों के बीच आने वाली, क्रूस सबसे क्रांतिकारी चीज़ है। रोमी समय का क्रूस कोई समझौता नहीं जानता था, उसने कभी कोई रियायतें नहीं कीं। उसने अपने सभी विपक्षियों को मारकर उन्हें हमेशा के लिए चुप कराके अपने सभी तर्कों में विजय प्राप्त की। इसने मसीह को भी नहीं छोड़ा, लेकिन उसे भी बाकियों के समान ही मार डाला। जब उन्होंने उसे क्रूस पर लटकाया तब वह ज़िंदा था, और जब उन्होंने उसे उसपर से उतारा तब वह पूरी तरह से मृत था। यही वो क्रूस थी जो पहली बार मसीही इतिहास में प्रकट हुई। इस सब के सिद्ध ज्ञान में, मसीह ने कहा, "यदि कोई मेरे पीछे आएगा, तो वह अपने आप से इनकार करे, अपनी क्रूस उठाए और मेरे पीछे हो ले।" तो फिर क्रूस ने केवल मसीह के जीवन को समाप्त कर दिया था, लेकिन यह पहले जीवन को भी समाप्त करती है, उसके सच्चे चेलों में से हर एक का पुराना जीवन... यह और बस यही सच्चा मसीह धर्म है। हमें क्रूस के बारे में कुछ करना होगा, और केवल दो ही विकल्पों में से एक है जो हम कर सकते हैं- या तो उस से भाग जाएँ या उस पर मर जाएँ।

 

जैसे यीशु ने यह अच्छा बीज बोया था, हमें भी परमेश्वर के वचन के इस अनमोल बीज को ले जाकर अच्छी भूमि पर बोने के लिए बुलाया गया है। उस सच्चे सुसमाचार से जो यीशु को और क्रूस पर उसके उद्धार के कार्य को ऊँचा उठाता है, कम और कुछ भी न केवल पवित्र आत्मा की आशीष और सामर्थ नहीं लाएगा; यह झूठा सुसमाचार है। एक झूठा सुसमाचार सुनने वालों को आकर्षित कर सकता है, लेकिन सिर्फ इसलिए कि किसी कलीसिया, संगठन या धर्म के पास कई सुनने वाले हैं, इसका मतलब यह नहीं कि यह लोग प्रभु यीशु के सच्चे शिष्य हैं।

 

यह मानते हुए कि सच्चे सुसमाचार का प्रचार किया जा रहा है, आपको काया लगता है कि ऐसो क्यों है कि बीज का केवल एक चौथाई ही फल उत्पन्न करता है? आपको क्या लगता है कि पत्थर और झाड़ियाँ आज किस बात का प्रतीक हैं?

 

बीज बोने वाला और बीज

 

यह काफी संभव है कि गलील के समुद्र के किनारे पर भीड़ की के स्थान से, वे कफरनहूम के किनारे पर एक किसान को अपना बीज बोते देख सकते होंगे। ग्रामीण इलाकों में अधिकांश कस्बों और गांवों में, ऐसे बाहरी इलाके थे जो लोगों के फसल उगाने के लिए अलग किये गए थे। बोनेवाला हम में से उन सभी का एक प्रतीक है जो दूसरों के साथ परमेश्वर के वचन का बीज साझा करने और उन्हें मसीह के साथ संबंध में आते देखने चाहते हैं।

 

पगडंडियों पर मिट्टी

 

प्रत्येक गाँव में, सब्जियों के लिए अलग की गयी जगह में, पगडंडियाँ थीं। ये पगडंडियाँ कठोर मिट्टी से बनी होती थी जहाँ लोग चलते थे। जब किसान अपना बीज फेंकता, कुछ रास्ते पर गिर जाते और जड़ न पकड़ पाने के कारण अंकुरित न हो पाते। पगडंडियों पर मिट्टी कठोर हृदय के मनुष्य का प्रतीक है। वे केवल सुनने वाले हैं। कुछ लोग जीवन के अनुभवों के कारण परमेश्वर के वचन प्रति कठोर हो गए हैं; यह उनके जीवन की सतह से नीचे जा ही नहीं पाता। समस्या का एक हिस्सा यह है कि सच्चाई का मूल्य नहीं है। बोए गए वचन का भाग्य उस हृदय पर निर्भर करता है जिसमें उसे बोया जाता है। एक बंद मन फल नहीं लाएगा।

 

पक्षी शैतान से उन विचारों का प्रतिरूप हैं जो तुरंत संदेश की सच्चाई को चुरा लेते हैं। कुछ लोग कलीसिया में जाते हैं, लेकिन उनके दिमाग अपने व्यवसाय, उनके परिवार, उनके पसंदीदा खेल आदि पर केंद्रित रहते हैं। एक बार जब हम सत्य प्राप्त कर लेते हैं, तब हम इसके जवाब में उत्तरदायी होते हैं। यह चुनौती है। पवित्र आत्मा चाहेगा कि जो बाँटा गया है हम उसपर मनन करें और विचार करने के बाद उन सत्यों को, एक व्यक्ति की इच्छा और निर्णय लेने की क्षमता व्यवस्थित करने में मदद करे। एक व्यक्ति की इच्छा का अंदरूनी कार्य निर्णायक है, और यह निर्धारित करता है कि क्या सच्चाई स्वीकारी और प्राप्त की जाएगी, और उसपर कोई कार्य होगा या नहीं। दुर्भाग्य से, सुसमाचार के प्रति कठोर होने जैसी बात असल में होती है। उस हद तक उपदेश के बाद उपदेश सुनना संभव है जब तक कि हृदय हठी, लापरवाह और कठोर हो जाए। अक्सर, परमेश्वर के वचन को प्राप्त करने के लिए कठिन सतह की मिट्टी हें हल चला भूमि के तोड़े जाने की जरूरत है। परमेश्वर हृदय को नम्र करने के लिए कष्टों और कठिनाइयों का प्रयोग करता है। यदि आप दर्दनाक कठिनाइयों और परीक्षाओं से गुज़रे हैं, तो अपने सिर को परमेश्वर की ओर ऊपर उठाएं और उसे अपने हृदय की भूमि में हल चला उसे उसके वचन का स्वागत करने में तैयार करने के लिए उसका धन्यवाद करें।

 

किस तरह की परिस्थितियां एक व्यक्ति के हृदय को कठोर करती हैं? आपको क्या लगता है कि एक कठोर हृदय को पिघलने में क्या मदद करेगा?

 

भूमि जो पथरीली है

 

यह भूमि उथले हृदय की बात करती है। इज़राइल में, विशेष रूप से यरूशलेम के आसपास के इलाकों में, मिट्टी की एक पतली सतह होती है जिसके नीचे कठोर चूना पत्थर होता है। एक मुख्य राजमार्ग के किनारों पर उस घास की तरह, जो जब सूरज गर्म होता है तो यह लंबे समय तक जीवित नहीं रहती। कोई भी बीज जो इस भूमि पर गिरता है, उसकी जड़ें पोषक तत्वों और नमी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त गहरी नहीं हो सकती। कुछ लोग अपनी भावनाओं में परमेश्वर के वचन को प्रतिक्रिया देते हैं लेकिन सत्यता में रूपांतरण का अनुभव नहीं करते हैं। बीज उनके अस्तित्व, उनकी आत्मा की गहराई में प्रवेश नहीं करता है। इस प्रकार के सुनने वाले प्रचारकों के दिल को प्रसन्न करते हैं क्योंकि वे अक्सर परमेश्वर के वचन को आनंद से प्राप्त करते हैं और हमें उम्मीद दिलाते हैं कि यह एक वास्तविक रूपांतरण है, लेकिन बाद में हम पाते हैं कि वे फिर से नहीं आते। उनकी भावनाएं उमड़ी थी, लेकिन उनके जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा के पीछे जाने के लिए समय देने के दृढ़ संकल्प की कमी थी। यह लोग जीवन के लिए गहरे ध्येय देने वाले सत्यों के चुनौतीपूर्ण शब्द सुनना पसंद नहीं करते। वे ऐसे संदेश चाहते हैं जो उन्हें अच्छा महसूस कराएं, कि ऐसे जो उन्हें समपूर्ण क्रियाशीलता के लिए बुलाते हैं।

 

क्योंकि ऐसा समय आएगा, कि लोग खरा उपदेश सह सकेंगे पर कानों की खुजली के कारण अपनी अभिलाषाओं के अनुसार अपने लिये बहुतेरे उपदेशक बटोर लेंगे। (2 तीमुथियुस 4:3)

 

भूमि जो कंटीली है

 

यह तीसरी भूमि अच्छी स्थिति में थी। यह गहरे रंग की, नम और उपजाऊ मिट्टी थी, क्योंकि यह अच्छे फल की शुरुआत के साथ-साथ झाड़ियाँ भी उत्पन्न कर रही थी। इस जमीन पर हल चलाया गया था और फलदायी होने के लिए इसके पास सबकुछ था। मुझे यकीन है कि किसान ने यह सुनिश्चित करते हुए कि इसे अच्छी तरह से पानी पिलाया गया हो और मिट्टी में ढक दिया गया हो ताकि यह अंकुरित हो सके और उसे जड़ें बढ़ने के लिए जगह मिल सके, बीज बोने में समय और परिश्रम लगाया होगा। गेहूँ के पहले अंकुर के साथ उगती झाडी देखने तक उसकी अपेक्षा अधिक थी। लेकिन, समय के साथ, किसान देखता है कि झाड़ियों ने खुद को गेहूँ के चारों ओर लपेटकर किसी भी तरह की वृद्धि को रोक दिया है। काँटे एक ऐसे व्यक्ति के विषय में बात करते हैं जो परमेश्वर के वचन को याद करता है, और सच्चाई को अपना घर जाता है, परन्तु उसकी जीवनशैली नहीं बदलती। उनके पास देखभाल करने के लिए व्यवसाय, यहाँ और वहाँ की जिम्मेदारियाँ हैं। गेहूँ को ज़रा सी भी धूप नहीं प्राप्त होती; अनंतकाल की चीजों की परवाह करने से अधिक बहुत ज़्यादा चिंताओं और प्रसंग हैं।

 

उनका केंद्र इस संसार की बाते हैं। उन्होंने अपनी आत्मा में कभी यह नहीं देखा है कि अनंतकाल की बातें इस सब से इतना अधिक मूल्य की हैं। उनकी लालसा बड़ी कार, बड़ा घर और बेहतर नौकरी के लिए है। परमेश्वर का राज्य उनकी प्राथमिकता नहीं है। मुझे प्रसिद्ध इंग्लिश क्रिकेट खिलाड़ी, सी.टी. स्टड की याद आती है। उनका जन्म एक धनी परिवार में हुआ था, बड़ा होते-होते वह सर्वकालिक सबसे बड़े क्रिकेटरों में से एक बन गए, लेकिन फिर भी, जब उन्हें परमेश्वर पर विश्वास करने में चुनौती मिली, वह सब कुछ बेच एक मिशनरी के रूप में अफ्रीका, चीन और भारत चले गए। उन्होंने अपने जीवन में ऐसे समय अपना कैरियर छोड़ दिया जब वह बहुत सफल थे। उन्होंने आज्ञा मानी क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें बुलाया था। परमेश्वर के लिए अपने प्रेम और उसे और उसके लोगों की सेवा करने की अपनी बुलाहट को इस संसार की चीजों में खोने की अनुमति न दें। धन-दौलत छलावा है, और आराम, प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा का प्रेम आपके लिए परमेश्वर के राज्य में आने वाली समृद्ध विरासत में बाधा पहुँचाएगी। अपने सामने मेम्ने के विवाह से बाहर रह गए लोगों की तस्वीर रखें क्योंकि वे मसीह द्वरा नहीं जाने गए थे (मत्ती 25:10)। अपने सम्पूर्ण हृदय से मसीह का पीछे हो लें।

 

अच्छी भूमि पर बीज

 

अंतत: हम उस अच्छे बीज तक आते हैं जो अच्छी भूमि पर गिरता है। पश्चाताप और पाप के बोध के द्वारा भूमि को ठीक तरीके से तैयार कर लिया गया था। यह मिट्टी उस पुरुष या महिला को दर्शाती है जो परमेश्वर के वचन को सुनते हैं, उसे मूल्यवान ठरते हैं, और अपने जीवन की गहराई में उसके लिए जगह बनाते हैं। उनका मन, इच्छा, और भावनाएं पूरी तरह से वह सब करने के लिए एकीकृत हो गए हैं जो परमेश्वर की इच्छा को अपने जीवन में पूरा करने के लिए अवश्यायक है।

 

यीशु फलवंत होने के विभिन्न स्तरों को क्यों उठाता है? वह किस प्रकार के फलवंत होने के विषय में बोल रहा है (जो बोया गया था उससे एक सौ, साठ, या तीस गुना (मैथ्यू 13: 8))?

 

सी.टी. स्टड जैसे व्यक्ति सौ गुना वापसी का एक उदाहरण होंगे। अपनी संपत्ति और परिवार को त्यागने में, उन्होंने अपने जीवन को अपनी पीढ़ी में परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए देने का चुनाव किया। जब हम पृथ्वी पर जीवन जीते हैं तो सभी यह चुनाव करते हैं कि हम इस जीवन में कैसे चलेंगे। हम अपने समर्पण के स्तर के अनुसार मार्ग पर तीस, साठ, या सौ गुना चलना चुन सकते हैं। सौ गुना पथ पर चलने के लिए आपको कीमत चुकानी पड़ेगी। परमेश्वर के राज्य में हर तरक्की आपको स्वयं के प्रति मृत हो क्रूस को उठाने की एक पुकार होगी। कुछ ऐसे लोग हैं जो दस गुना समर्पण से संतुष्ट हैं, जबकि अन्य ने परमेश्वर द्वारा उनके जीवन के मूल्य को पहचान लिया है, इसलिए वे चुनते हैं, अनंतकाल के उस दृष्टिकोण के आधार पर, अपने सम्पूर्ण हृदय, प्राण और बल का निवेश करना। वे अपनी सभी क्षमताओं और अपने सभी संसाधनों का उपयोग हमारे स्वामी के लिए बहुमूल्य लोगों को जीतने के लिए प्रयोग करने का चुनाव करते हैं, इसके लिए चाहे कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े। एक सौ गुना फल लाने के लिए पूर्णकालिक सेवकाई में होना आवश्यक नहीं। केवल एकमात्र आवश्यक बात सुनना और आज्ञा मानना है। हम इस बात को छोड़ देते हैं कि अपने प्रभु के साथ हम दस गुना विश्वासियों में हैं या सौ गुना, और हम उन अवसरों पर ध्यान देते हैं जो वह हमें दूसरों के जीवन में अपने बीज बोने के लिए देता है।

 

इस दृष्टान्त को देखने का एक और नज़रिया

 

मैं परमेश्वर के वचन के बारे में एक और बात बहुत पसंद करता हूँ और वो यह है कि अक्सर इसे समझने का एक से अधिक तरीका है। अक्सर, यीशु दो स्तरों पर बात करता है, उदाहरण के लिए कोशीय स्तर और जीव स्तर पर। जबकि हमें इसे कोशीय स्तर पर प्राप्त करना चाहिए, हम इसे राज्य या देश की सामरिक बुवाई और कटाई के स्तर से भी देख सकते हैं। हमें हमारे प्रभु द्वारा पूरे जगत में सभी देशों के लिए एक गवाही के रूप में सुसमाचार का प्रचार करने का आदेश दिया गया है, और अंत तब तक नहीं आएगा जबतक ऐसा नहीं हो जाता (मत्ती 24:14) कलीसियाएं अब यह देख रही हैं कि इस आशय को पूरा करने के लिए मसीही श्रमिकों को भेजना छोटी मंडलियों के लिए बहुत कठिन है, इसलिए वे महान आज्ञा को पूरा करने के लिए अन्य कलीसियाओं के साथ मिलकर अपने संसाधनों को एकत्रित कर रहे हैं। लेकिन पगडंडी की मिट्टी पर काम करने के लिए श्रमिकों को क्यों भेजना, जो कि निवेश पर थोड़ा सा प्रतिफल लाएगा? अच्छी मिट्टी खोजने के लिए सामरिक सोच की आवश्यकता है। कोई भी अच्छा किसान मिट्टी के पी.एच. स्तर की जाँच करेगा कि वह यह पता लगा पाए कि जो बोने की इच्छा वह रख रहा है वो बढेगा भी या नहीं! मुझे समझाने दें कि मेरा क्या मतलब है। जब मैंने अपने पिता के साथ एक व्यावसायिक मछुआरे के रूप में काम किया था, तो हम गर्मियों में स्प्रैट्स कही जाने वाली छोटी मछलियों के शिकार के लिए नहीं निकलते थे। साल में केवल कुछ समय थे कि स्प्रैट्स बड़ी संख्या में एक साथ एकत्रित रहती थीं। हमारे लिए यह रणनीतिक या व्यावहारिक रूप से यह ठीक नहीं था कि हम स्प्रैट्स को पकड़ने के लिए उपयुक्त जाल बिछाएं। वह मौसम सही समय नहीं था। सी.पीटर वैग्नर एक सेब के खेत के उदाहरण का उपयोग करते हैं:

 

मैं अक्सर एक सेब के खेत की समानता का उपयोग करता हूँ। मान लीजिए कि मेरे पास तीन क्षेत्रों का एक सेब का खेत है। पहले क्षेत्र में सेब इतने पके हुए होते हैं कि एक कर्मचारी एक घंटे में पाँच धड़ी सेब तोड़ सकता है। दूसरे क्षेत्र में, केवल कुछ ही पके हुए हैं और एक धड़ी तोड़ने के लिए पाँच घंटे लग सकते हैं। तीसरे में कोई भी सेब पका नहीं हैं। मेरे पास सेब तोड़ने के लिए भेजने को 30 कर्मचारी हैं। उन्हें कहाँ भेजना है मुश्किल निर्णय नहीं है। मैं सभी 30 को पहले क्षेत्र में नहीं भेजूँगा, जहाँ सेब पके हुए हैं, लेकिन मैं 29 को भेजूँगा। मैं बचे हुए कर्मचारी को दूसरे क्षेत्र में जाकर जितना संभव हो उतना सेब तोड़ने के लिए कहूँगा, लेकिन यह भी कि वो बीच-बीच में तीसरे क्षेत्र में भी हो आए। जब यह कर्मचारी वापस आता है, तो मुझे बड़ी संख्या में सेब देखने की उम्मीद नहीं है। इस मामले में, मुझे सेब से ज्यादा जानकारी में अधिक रुचि है। इस व्यक्ति के द्वारा मुझे पता चल जाएगा कि दूसरे सेब कब पकेंगे, और उस आधार पर मैं अपने कार्य बल की तैनाती करूंगा। फसल की कटनी नियुक्त श्रमिकों की मात्रा निर्धारित करता है।

 

कटनी करने में समय और स्थान महत्वपूर्ण हैं। पृथ्वी पर सभी जगह खोए हुए लोगों की कटनी के लिए एक परिपक्व क्षेत्र नहीं हैं। देश और क्षेत्र फलदायकता के भिन्न-भिन्न मौसमों से होकर गुज़रते हैं। मुझे गलत मत समझिए, सभी देशों में लोग परमेश्वर के वचन को ग्रहण कर मसीह के पास आने के लिए के लिए तैयार हैं, लेकिन कसी देश को पलटने वाली जागृति का कारण अक्सर उस क्षेत्र या देश में परमेश्वर का विशेष कार्य होता है। कलीसिया के रूप में, हमें रणनीतिक रूप से यह देखना होगा कि परमेश्वर बड़े स्तर पर कहाँ कार्य कर रहा है। शुरुआती 1980 के दशक में अर्जेंटीना पगडंडी पर मिट्टी के समान था जो नेतृत्व परिषद में भरोसा रख रहा था। लेकिन जब सैन्य नेतृत्व ने ब्रिटिश से माल्विनास द्वीप समूह या फ़ॉकलैंड द्वीप पर कब्जा करने के लिए आक्रमण बल भेजा तब सब बदल गया। मैगी थैचर ने ब्रिटिश बलों को दक्षिण अटलांटिक में भेज दिया, और कई युद्धों के बाद, कई जीवनों के नुकसान के साथ द्वीपों को पुनः हासिल कर लिया। अर्जेंटीना के राष्ट्रीय अभिमान को ठेस पहुँची थी, और इसके साथ ही, उनके अग्वों में विश्वास की समाप्ति। यह मसीह के प्रचुर प्रचार के लिए एक बड़ा मोड़ लेकर आया और एक विशाल जागृति हुई। जब हम अपने परमेश्वर के लिए फलदायी होने की तलाश रखते हैं, तो हमें देशों की आत्मिक मिट्टी की जाँच करनी चाहिए और उस स्थान पर कार्य में निवेश करना चाहिए जहाँ परमेश्वर अपना कार्य कर उस संस्कृति के हृदय खोल रहा है। परमेश्वर राजनैतिक परिस्थितियों को मिट्टी के पकाने के लिए उपयोग करता है।

 

 

यहाँ अमरीकी संयुक्त राज्य में अधिकांश भाग के लिए, हमारी भूमि की स्थिति झाड़ियों वाली है। मिट्टी में फलदायकता तो है, परन्तु झाड़ियाँ बढौतरी का दम घोंट देती हैं। यद्यपि शत्रु अक्सर स्वयं अपने पैर में गोली मार लेता है। वो संस्कृति को धोखे और बुराई में बदलने के लिए कड़ी मेहनत करता है, लेकिन मुझे लगता है कि परमेश्वर, अपनी दया/ करुणा? में, हमारी ढिलाई को जारी रखने की अनुमति नहीं देगा। मेरा मानना ​​है कि ऐसे हालात, परिस्थितियाँ और घटनाएं होंगी जो आज के लोगों के बीच एक महान कटनी के लिए, ख़ास तौर से हमारे युवाओं के लिए बीच, इस देश की आत्मिक धारा का प्रवाह मोड़ देंगी। USA ने 60 और 70 के दशक में यीशु आंदोलन के दौरान कलीसिया में भारी वृद्धि देखी। मेरा मानना ​​है कि यह परमेश्वर के एक और कार्य के लिए समय है, और हमें स्वयं ऐसे शिष्य रहते जो फलवंत हैं और दूसरों को शिष्य बना सकते हैं, नए विश्वासियों को ग्रहण करने के लिए तैयार रहना चाहिए। आज कई लोग ऐसे हैं जो क्षमा कर पाने या हृदय की कठोरता के कारण परमेश्वर के वचन से नए सत्य प्राप्त नहीं पाते हैं।

 

आइए हम अपने हृदय की भूमि पर गौर करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई कड़वाहट या क्षमा करना नहीं है, और किसी भी कठोरता या अविश्वास से निपटें। परमेश्वर से माँगिये कि वो हमें जाने दे, बल्कि हमारे हृदयों की भूमि को तैयार करे।

 

आइये हम परमेश्वर से पूछें कि हम अपने उन भाइयों और बहनों के लिए क्या कर सकते हैं जो चोट खाए हुए हैं और अपने जीवनों में परमेश्वर के वचन के विषय में कठोर हो गए हैं। हम उन्हें कैसे प्रोत्साहित और मजबूत कर सकते हैं? आइए परमेश्वर को हमसे व्यक्तिगत रूप से बात करने के लिए समय दें।

 

प्रार्थना: पिता, क्या आप आएंगे और हमारे हृदयों में एक नया कार्य करेंगे? कठोर मिट्टी पर हल चलाएं और सत्य के लिए इसे समृद्ध भूमि बनाएं। मैं आपके सम्मुख किसी भी तरह का क्षमा करना और कड़वाहट रखता हूँ जो आपकी सच्चाई के बीज को दबा देगा। कृपया मुझ पर अपनी आत्मिक सर्जरी करें। आमीन!

 

 

कीथ थॉमस

नि:शुल्क बाइबिल अध्यन के लिए वेबसाइट: www.groupbiblestudy.com

-मेल: keiththomas7@gmail.com

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