top of page

19. Jesus, the Good Shepherd

हिंदी में अधिक बाइबल अध्ययन देखने के लिए, यहाँ क्लिक करें।

19. यीशु, अच्छा चरवाहा

हम प्रभु के सब्त के दिन जन्म से अंधे व्यक्ति को चंगा करने के बाद उत्पन्न हुए यीशु और फरीसियों और सत्तारूढ़ी अग्वों के बीच टकराव को देखना जारी रख रहे हैं (यहुन्ना 9)। जब यहुन्ना ने अपना सुसमाचार लिखा, तो कोई अध्याय विभाजन नहीं थे, इसलिए हमें यीशु की शिक्षा के निम्न वचनों को फरीसियों द्वारा अंधेपन से चंगे व्यक्ति से किये गए व्यवहार के संदर्भ में पढ़ना चाहिए। अग्वों ने उस व्यक्ति को बहिष्कृत कर दिया था, साथ ही, उसे तिरस्कृत कर उस पर पाप में पैदा होने का आरोप लगाया (यहुन्ना 9:34)। यीशु के पास इजराइल के झूठे चरवाहों के बारे में तीखे लेकिन ईमानदार शब्द थे:

 

1मैं तुम से सच-सच कहता हूँ, कि जो कोई द्वार से भेड़शाला में प्रवेश नहीं करता, परन्तु किसी दूसरी ओर से चढ़ जाता है, वह चोर और डाकू है। 2परन्तु जो द्वार से भीतर प्रवेश करता है वह भेड़ों का चरवाहा है। 3उसके लिये द्वारपाल द्वार खोल देता है, और भेंड़ें उसका शब्द सुनती हैं, और वह अपनी भेड़ों को नाम ले-लेकर बुलाता है और बाहर ले जाता है। 4और जब वह अपनी सब भेड़ों को बाहर निकाल चुकता है, तो उनके आगे-आगे चलता है, और भेड़ें उसके पीछे-पीछे हो लेती हैं; क्योंकि वे उसके शब्द पहचानती हैं। 5परन्तु वे पराये के पीछे नहीं जाएंगी, परन्तु उससे भागेंगी, क्योंकि वे परायों का शब्द नहीं पहचानती।” 6यीशु ने उनसे यह दृष्टान्त कहा, परन्तु वे न समझे कि ये क्या बातें हैं जो वह हम से कहता है। (यहुन्ना 10:1-6)

 

अवैध चरवाहे

 

येरूशालेम के भेड़ फाटक पर, संभवत: एक ऐसा अहाता होगा जहाँ चरवाहे अपनी भेड़ों के साथ प्रतिदिन के बलिदान और पाप के बदले भेंट के लिए लाए मेमनों की कीमत के भुगतान के लिए प्रतीक्षा करते होंगे भेड़ फाटक और अहाते की छवि यीशु के शब्दों के लिए एक आदर्श पृष्ठभूमि हो सकती थी। उन्हें खोई हुई भेड़ के रूप में देखते हुए प्रभु अपने लोगों के लिए करुणा से भर गए : जब उसने भीड़ को देखा तो उसको लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे उन भेड़ों की नाई जिनका कोई रखवाला न हो, व्याकुल और भटके हुए से थे(मत्ती 9:36)। इजराइल के अग्वों ने सत्यता से अच्छे चरवाहे की तरह लोगों की देखभाल या परमेश्वर के हृदय को प्रतिबिंबित नहीं किया था।

 

सांकेतिक भाषा का प्रयोग कर (पद 6), मसीहा ने फरीसियों पर चोर, डाकू और अवैध चरवाहा होने का आरोप लगाया। उसने उन्हें यह चेतावनी देना शुरू किया कि वे भेड़ की देखभाल नहीं कर रहे थे, लेकिन वे आर्थिक पुरस्कार और स्वयं की महिमा के लिए इसमें थे। यह आज के समय से विपरीत नहीं है जहाँ लोग धर्म का उपयोग धन बनाने की योजना के रूप में करते हैं। फरीसी और अग्वे बाहर से अच्छा दिखना चाहते थे, लेकिन प्रभु ने देखा कि वे अंदर से पाखंड और दुष्टता से भरे, मृत पुरुषों की हड्डियों और पूर्णत: अशुद्धि की तस्वीर थे (मत्ती 23: 27-28)। वे द्वारपाल के पास आकर वैध रूप से लोगों का चरवाहा नहीं बने थे, लेकिन वे किसी अन्य तरीके से इज़राइल की भेड़शाला में आए थे। यीशु ने स्वीकार किया कि व्यवस्था के शिक्षकों और फरीसियों के पास शक्तिशाली पद थे; लेकिन, उन्होंने अपने अनुयायियों और शिष्यों को चेतावनी दी कि, हालाँकि यह अग्वे आत्मिक अधिकार के स्थान में थे, फिर भी उन्हें इन अग्वों का पूर्ण अनुसरण नहीं करना था:

 

1तब यीशु ने भीड़ से और अपने चेलों से कहा; “2शास्त्री और फरीसी मूसा की गद्दी पर बैठे हैं। 3इसलिये वे तुम से जो कुछ कहें वह करना, और मानना; परन्तु उनके से काम मत करना; क्योंकि वे कहते तो हैं पर करते नहीं। 4वे एक ऐसे भारी बोझ को जिनको उठाना कठिन है, बान्धकर उन्हें मनुष्यों के कन्धों पर रखते हैं; परन्तु आप उन्हें अपनी उंगली से भी सरकाना नहीं चाहते। 5वे अपने सब काम लोगों को दिखाने के लिये करते हैं: वे अपने तावीजों को चौड़े करते, और अपने वस्त्रों की कोरें बढ़ाते हैं। 6 भोज में मुख्य मुख्य स्थान, और सभा में मुख्य मुख्य आसन। 7और बाजारों में नमस्कार और मनुष्य में रब्बी कहलाना उन्हें भाता है।” (मत्ती 23:1-7)

 

यह एक वैध अधिकार है जो परमेश्वर से आता है, लेकिन हमें मनुष्यों के अवैध आत्मिक अधिकार के बारे में जागरूक होना चाहिए। फरीसी और व्यवस्था के शिक्षक भेड़शाला में आने के लिए भेड़शाला की बाड़ या दीवार कूद अंदर आ गए थे, लेकिन उनकी सेवा और बुलाहट परमेश्वर की ओर से नहीं थी। साधारण लोग उनका पालन करने के लिए बाध्य थे, क्योंकि वे मूसा के अधिकार गद्दी पर बैठते थे, लेकिन कुछ ही लोग उनके दिखावे, गर्व और अग्वों की आवभगत के कारण उनका सम्मान करते थे। जिस तरह से उन्होंने जन्म से अंधे व्यक्ति के साथ व्यवहार किया इसी बात का और सबूत था कि उन्हें भेड़ों की ज़रा सी भी परवाह नहीं थी। परमेश्वर ने कई वर्षों पहले भविष्यवक्ता यहेजकेल के वचन द्वारा एक भविष्यवाणी की थी, यह कि, ऐसा समय आएगा जब झूठे चरवाहे झुण्ड में घुस आएंगे और उनपर छलपूर्वक शासन करेंगे,

 

1यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा; “2हे मनुष्य के सन्तान, इज़राइल के चरवाहों के विरूद्ध विष्यद्वाणी करके उन चरवाहों से कह, परमेश्वर यहोवा यों कहता हे, ‘हाय इज़राइल के चरवाहों पर जो अपने-अपने पेट भरते हैं! क्या चरवाहों को भेड़-बकरियों का पेट न भरना चाहिए? 3तुम लोग चर्बी खाते, ऊन पहिनते और मोटे मोटे पशुओं को काटते हो; परन्तु भेड़- बकरियों को तुम नहीं चराते। 4तुमने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बान्धा, न निकाली हुई को फेर लाए, न खोई हुई को खोजा, परन्तु तुम ने बल और जबरदस्ती से अधिकार चलाया है। 5वे चरवाहे के न होने के कारण तितर-बितर हुई; और सब वनपशुओं का आहार हो गई। 6मेरी भेड़-बकरियाँ तितर-बितर हुई हैं; वे सारे पहाड़ों और ऊंचे ऊंचे टीलों पर भटकती थीं; मेरी भेड़-बकरियाँ सारी पृथ्वी के ऊपर तितर- बितर हुई; और न तो कोई उनकी सुधि लेता था, न कोई उनको ढूंढ़ता था। 7इस कारण, हे चरवाहो, यहोवा का वचन सुनो। 8परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मेरी भेड़-बकरियाँ जो लुट गई, और मेरी भेड़-बकरियाँ जो चरवाहे के न होने के कारण सब वनपशुओं का आहार हो गई; और इसलिये कि मेरे चरवाहों ने मेरी भेड़-बकरियों की सुधि नहीं ली, और मेरी भेड़- बकरियों का पेट नहीं, अपना ही अपना पेट भरा; 9इस कारण हे चरवाहों, यहोवा का वचन सुनो, 10परमेश्वर यहोवा यों कहता हे, देखो, मैं चरवाहों के विरूद्ध हूँ; और मैं उनसे अपनी भेड़-बकरियों का लेखा लूँगा, और उनको फिर उन्हें चराने न दूँगा; वे फिर अपना अपना पेट भरने न पाएंगे। मैं अपनी भेड़-बकरियाँ उनके मुँह से छुड़ाऊंगा कि आगे को वे उनका आहार न हों। 11क्योंकि परमेश्वर यहोवा यों कहता है, देखो, मैं आप ही अपनी भेड़-बकरियों की सुधि लूँगा, और उन्हें ढूंढ़ूंगा। 12 जैसे चरवाहा अपनी भेड़- बकरियों में से भटकी हुई को फिर से अपने झुण्ड में बटोरता है, वैसे ही मैं भी अपनी भेड़-बकरियों को बटोरूंगा।’” (यहेजकेल 34:1-12)

 

भेड़ के वैध चरवाहे

 

यीशु झुण्ड के चरवाहे के रूप में अपनी भेड़ों की तलाश करते हुए आने (पद 12) और उन्हें दासत्व में से निकलने के अपने वैध अधिकार के बारे में बात करता है। वह वैध तरीकों से आया था; जब वह भेड़ के द्वारपाल यहुन्ना बप्तिस्मा देने वाले के पास गया, तो उसके बप्तिस्में पर परमेश्वर की आवाज़ से उसकी सेवकाई की गवाही दी गई। परमेश्वर ने यीशु के बपतिस्मा पर स्वर्ग से एक बुलंद आवाज के द्वारा उसके वैध चरवाहा होने की गवाही भी दी है: "यह मेरा प्रिय पुत्र है, जिससे मैं अत्यन्त प्रसन्न हूँ" (मत्ती 3:17)

 

न केवल उसके पास परमेश्वर और भविष्यवक्ता की गवाही थी, बल्कि उनका संदेश आश्चर्य-कर्मों, सत्य की झनकार में अधिकार की एक शक्तिशाली भावना के साथ आया था, क्योंकि वह उन के शास्त्रियों के समान नहीं परन्तु अधिकारी की नाई उन्हें उपदेश देता था” (मत्ती 7:29) यहाँ तक कि इज़राइल के सत्तारूढ़ी अग्वों द्वारा मसीह को पकड़ने के लिए भेजे गए मंदिर के सिपाही भी यह कहते खाली हाथ वापस आए, किसी मनुष्य ने कभी ऐसी बातें न की” (यहुन्ना 7:46) जब यीशु बोलते थे, तब लोग सुनते थे। उसके बारे में कुछ अलग होने की भावना थी। एक अन्य समय, लूका ने हमें बताया कि महायाजक, व्यवस्था के शिक्षक, और अग्वे उसे मारने की कोशिश कर रहे थे, "परन्तु कोई उपाय न निकाल सके; कि यह किस प्रकार करें क्योंकि सब लोग बड़ी चाह से उस की सुनते थे" (लूका 19:48)। यीशु ने इसे फरीसियों के लिए इस तरह रखा: "भेंड़ें उसका शब्द सुनती हैं” (पद 3), और फिर से चौथे पद में, “भेड़ें उसके पीछे-पीछे हो लेती हैं; क्योंकि वे उसके शब्द पहचानती हैं”

 

 

प्रश्न 1) मसीह के बारे में क्या था जिसने आपको सबसे पहले आकर्षित किया था? क्या आप समझा सकते हैं कि आप उसके संदेश से आकर्षित क्यों हुए थे?

 

नैतिक कथा और अलंकार (मेटाफोर) का प्रयोग करते हुए, मसीह ने उनके सम्मुख सामुदायिक भेड़शाला की एक तस्वीर रख दी जो यहूदिया और सामरिया के हर गाँव का हिस्सा था। एक चरवाहे की कल्पना सामान्य लोगों के लिए परिचित "चित्रित शब्द" होगा। यरूशलेम चूना पत्थर के चट्टानी इलाके पर स्थित है जिसका ज्यादातर उपयोग चरवाहों द्वारा भेड़ चराने के लिए किया जाता था। 1978 में, मैं यरूशलेम के उत्तर में कई मील दूर बीट हनीना में चार महीने तक रहा था। तेरह वर्ष तक की उम्र के युवा का, वहाँ अपनी भेड़ों, जिनके गले में छोटी घंटियाँ बंधी होती थीं, के साथ दिखना बहुत आम बात थी। दरअसल, वह एक ऐसा युवा चरवाहा ही था जिसने कुमरान में मृत सागर के पास एक भटकी हुई भेड़ पर एक पत्थर मारा और आधुनिक समय की, मृत सागर स्क्रॉल नमक सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक खोज पाई।

 

पद 1-6 में तस्वीर एक गाँव में एक सामुदायिक भेड़शाला की है। पद 1 में, शब्द "भेड़शाला" यूनानी शब्द औले है, जिसका अर्थ आँगन है। शहर के कई लोगों के पास भेड़ आय के स्रोत के रूप में होंगी। अधिकांश अपनी भेड़ें को हर साल ऊन की कतरनी के लिए रखते होंगे। प्रत्येक दिन के अंत में, भेड़ों को गाँव की सामुदायिक भेड़शाला में रखा जाता। 'द्वार' यूनानी शब्द थायरा का अनुवाद है, जिसका अर्थ है 'दरवाजा’। दीवारें ऊँची थीं और उनके उपर काँटेदार झाड़ियाँ थीं। भेड़ों को सामुदायिक भेड़शाला में सुरक्षित रखा जाता था। एक भरोसेमंद संरक्षक द्वार या दरवाज़े पर निगरानी करता, और केवल उसके पास चाबी थी।

 

हर सुबह, विभिन्न चरवाहे आते, दरवाजा खोलते, और आवाज़ देते, सीटी बजाते, या यहाँ तक कि कोई ऐसा गीत भी गाते जो उनकी प्रत्येक भेड़ जानतीं। वे चरवाहे की आवाज़ पर भेड़शाला से बाहर आतीं। केवल उन्ही चरवाहों की भेड़ें जिन्हें उनके चरवाहे द्वारा बुलाया जाता सामुदायिक भेड़शाला से निकल उसके पीछे गाँव के पास ही चराई की भूमि पर जातीं। क्योंकि ज्यादातर भेड़ें चरवाहे के साथ काफी समय से रही थीं, वे उसे जानती थीं, और चरवाहा उनके नाम जानता था। अक्सर, उन्हें “काला कान” या “सफ़ेद सीना” नाम दिया जाता था। क्योंकि चरवाहे का अपनी भेड़ों के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध था, वो अपनी भेड़ों की विशिष्ट विशेषताओं को जानता था।

 

चरवाहा हमेशा उनके आगे चलता था। वे निसंदेह उसके पीछे चलतीं। जब वह एक धारा पार करता, तो उसपर भरोसा कर पीछे आतीं। जहाँ भी वह उनका नेतृत्व करता, वे विश्वास कर सकती थीं कि वह उनके मुकाबले ज्यादा बेहतर देख सकता था और कि उसे पता है कि आगे हरी घास कहाँ है। चरवाहा इलाके को जानता था; जहाँ भी वह नेतृत्व करता, उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं थी। वे उस पर भरोसा कर सकती थीं और सुरक्षित थीं।

 

भेड़ों का द्वार मैं हूँ

 

मसीह की सांकेतिक भाषा को लेकर फरीसियों में समझ की कमी थी (पद 6), इसलिए सात से पंद्रह पद में, वह शिष्यों और फरीसियों को अपने विचार स्पष्ट करता है:

 

7तब यीशु ने उनसे फिर कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ, कि भेड़ों का द्वार मैं हूँ। 8 जितने मुझसे पहले आए; वे सब चोर और डाकू हैं परन्तु भेड़ों ने उनकी न सुनी। 9द्वार मैं हूँ: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा। 10चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। 11अच्छा चरवाहा मैं हूँ; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है। 12मजदूर जो न चरवाहा है, और न भेड़ों का मालिक है, भेड़िए को आते हुए देख, भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है, और भेड़िया उन्हें पकड़ता और तित्तर बित्तर कर देता है। 13वह इसलिये भाग जाता है कि वह मजदूर है, और उसको भेड़ों की चिन्ता नहीं। 14अच्छा चरवाहा मैं हूँ; जिस तरह पिता मुझे जानता है, और मैं पिता को जानता हूँ। 15इसी तरह मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं, और मैं भेड़ों के लिये अपना प्राण देता हूँ। (यहुन्ना 10:7-15)

 

पहले के एक वचन में, उसने कहा था कि वो द्वार पर आकर नाम से अपनी भेड़ों को बुलाएगा। अब, उसकी सांकेतिक भाषा गर्मियों के महीनों वाली हो गई जब गाँवों के पास घास खायी जा चुकी होती। जब गर्म होता, तो चरवाहा भेड़ को कई दिनों तक शहर से दूर घास वाले इलाकों में ले जाता। क्योंकि रात में वापस जाने के लिए घर बहुत दूर होता होगा तो चरवाहा रात के लिए एक गुफा ढूंढता, या वह यर्दन पठार पर कई पत्थरों से भेड़ों के लिए एक घेरे का निर्माण करके भेड़शाला बनाता। फिर से, कंटीली झाड़ियाँ रात के दौरान भेड़ियों को दीवार फांद भेड़ों तक आने से रोकती।

 

चरवाहा केवल एक स्थान छोड़ता जहाँ से भेड़ भेड़शाला के अंदर-बाहर आ-जा सकती थीं। यीशु ने कहा, " भेड़ों का द्वार मैं हूँ” या आपके द्वारा उपयोग अनुवाद के अनुसार “द्वार मैं हूँ” (पद 7)। यह वह स्थान होता जहाँ चरवाहा आराम करता और रात के लिए सोता। वह भेड़शाला द्वार होता। भेड़ें अंदर-बाहर जाने में सक्षम होतीं (पद 9)। शायद, वह इस तथ्य का जिक्र कर रहा था कि जो भेड़ें यरूशलेम के भेड़ फाटक से अंदर आई थीं वे कभी बाहर नहीं जाती थीं। एक बार वे द्वार के अंदर होतीं, तो वे बलिदान के लिए तैयार होतीं। यीशु ने कहा कि भेड़ें अंदर-बाहर जायेंगी। भेड़ें रात में शांतिपूर्ण और सुरक्षित विश्राम कर सकती थीं क्योंकि वे द्वार पर चरवाहे को देख सकती थीं, और वे जानती थी कि वह उन्हें प्रेम करता है और उन्हें किसी भी भेड़िये से बचाएगा।

 

प्रश्न 2) जब हम यीशु के बारे में "द्वार" के रूप में सोचते हैं, तो उसे भेड़ों को भेड़िये या चोरोंसे बचने के लिए रक्षक के रूप में चित्रित किया गया है। यीशु किस तरह से आपके जीवन में सुरक्षा का द्वार रहा है? क्या आपकी तरफ से इसमें सहयोग रहा है?

 

"द्वार मैं हूँ," यीशु का तीसरा महान मैं हूँ कथन है। जो लोग कहते हैं कि परमेश्वर तक कई मार्ग हैं, यीशु ने कहा कि वह भेड़शाला का द्वार है, जहाँ भेड़शाला अनन्त जीवन और उसमें सुरक्षित और सुदृढ़ होने की एक तस्वीर है। केवल एक ही मार्ग है, और यीशु ही एकमात्र मार्ग है। हमें उसके पास आना होगा, क्योंकि कोई दूसरा मार्ग नहीं है:

 

और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें(प्रेरितों 4:12)

 

अगर हम सोचते हैं कि परमेश्वर के पास आने का कोई और मार्ग है तो हम खुद को धोखा देते हैं। अगर परमेश्वर के पुत्र के पाप की सजा लेने के अलावा कोई अन्य तरीका था, क्या आप नहीं सोचते कि पिता इसे ले लेते? हमारी समस्या यह है कि जैसे भेड़ की आसानी से चरवाहे से दूर भटकने की प्रवृत्ति है हम भी आसानी से भटकने लगते हैं। भविष्यवक्ता यशायाह ने इसे इस तरह रखा:

 

हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया। (यशायाह 53:6)

 

शैतान हमें मारने और नष्ट करने के लिए एक झूठे चरवाहे के रूप में आया है, लेकिन यीशु ने कहा, "मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं” (पद 10)। यह कथन इस सवाल को उजागर करता है कि यदि मसीह हमें जीवन देने आया, तो उसके आने से पहले हमारे पास क्या था? सच्चा जीवन, परमेश्वर का जीवन, केवल पाप के पश्चाताप पर और प्रभु यीशु मसीह की ओर मुड़ने के स्थान पर हमें प्रदान किया जाता है। उस बिंदु से पहले, हम खो चुकी भेड़ें हैं जो अपने अपराधों और पापों में भटके और मृत हैं (इफिसियों 2:1 और 5)। हमारी मृत्यु और पाप से निकलने का एकमात्र तरीका किसी के पाप के लिए हमारा विकल्प होना और हमारे विद्रोह और पाप का दंड अपने ऊपर ले लेना था। यीशु ने यही किया। परमेश्वर ने मसीह पर हम सभी के अधर्म (पाप) को डाल दिया। क्योंकि यह स्वयं देह में परमेश्वर, केवल उसका जीवन हमें “घर” वापस लाने के लिए अनन्त न्याय को पूर्ण करने के लिए आवश्यक मूल्य हो सकता था। केवल परमेश्वर ही हम सभी के लिए मूल्य चुका सकते थे। यह हमारे जीवन के लिए उसका जीवन होगा, एक अद्वितीय अदला-बदली, ऐसी जो हमारी समझ से परे हमारे लाभ के लिए महत्वपूर्ण है।

 

आइये इसे अलग तरीके से देखें। उदहारण के लिए अगर हम चींटियों के बारे में सोचना सोचें, तो एक भेड़ के मूल्य के लिए कितनी ही चींटियाँ लगेंगी - दस लाख, शायद एक करोड़, चींटियों की पूरी आबादी के बारे में क्या, यह एक भेड़ के बराबर होंगी? भेड़ एक उच्च जीवन रूप है, और एकसाथ सभी चींटियों की तुलना में अधिक मूल्य की है। आइये, इस विचार के साथ आगे बढ़ें। एक मनुष्य के बराबर कितनी भेड़ होंगी? परमेश्वर के विचार में, पूरे संसार में सभी भेड़ें परमेश्वर की छवि में बने मानव के जीवन के बराबर नहीं हैं (उत्पत्ति 1:27) आइए एक कदम और आगे बढ़ें, शैतान के दास बाजार में से सभी मनुष्यों को खरीदने के लिए क्या भुगतान किया जा सकता है? केवल स्वयं प्रभु ही उन सभी के मूल्य के बराबर हो सकता है जो उसकी मृत्यु को अपने लिए एक विकल्प के रूप में स्वीकारते हैं।

 

हम अपने नाशवान, असिद्ध जीवन के बदले में अपने जीवन को देकर परमेश्वर के पुत्र के उद्धार के भुगतान के बारे में बात कर रहे हैं। यही कारण है कि मसीह की मृत्यु ने आपके सभी पापों के लिए भुगतान किया है। कोई भी मनुष्य पाप नहीं हटा सकता, परन्तु महिमा का प्रभु कर सकता है, और उसने किया। यहोवा ने अपने पुत्र पर हम सभी भेड़ों का पाप डाल दिया जो भटक ​​गए थे। यदि हम विश्वास से मसीह को प्राप्त करते हैं, तो हम स्वर्ग से नए होते या नया जन्म पाते हैं। हम मसीह के अनमोल लहू के भुगतान के मूल्य से खरीदे जाते हैं, और हम अब उस अच्छे चरवाहे की भेड़ें हैं जिसने अपनी भेड़ों के लिए अपना जीवन दिया है। यीशु ने कहा कि वह अपनी भेड़ों के लिए अपने प्राण देने आया था (पद 15)

 

अच्छा चरवाहा

 

चौदह पद में, हमें "अच्छा चरवाहा" वाक्यांश के साथ जोड़ा गया चौथा “मैं हूँ” कथन मिलता है। वह अपने और इज़राइल के झूठे किरायेदार चरवाहों के बीच अंतर करता है जिन्हें भेड़ की कोई परवाह नहीं थी। विलियम बार्कले हमें यूनानी भाषा में दो शब्दों के बारे में बताता है जिनका अनुवाद "अच्छा" किया जाता है :

 

यीशु स्वयं को अच्छा चरवाहा के रूप में वर्णित करता है। यूनानी भाषा में, अच्छे के लिए दो शब्द हैं। वहाँ अगाथोस है, जो केवल किसी चीज़ की नैतिक गुणवत्ता का वर्णन करता है; फिर कालोस है, जिसका अर्थ है भलाई जिसमें जीत की गुणवत्ता है, जो इसे सुंदर बनाता है। जब यीशु को अच्छे चरवाहे के रूप में वर्णित किया गया है, तो शब्द कालोस है। उसमें दक्षता से अधिक और निष्ठा से अधिक है; उसमें सुंदरता है। कभी-कभी गाँव या शहर में, लोग अच्छे डॉक्टर की बात करते हैं। वे चिकित्सक के रूप में डॉक्टर की दक्षता और कौशल के बारे में नहीं सोच रहे हैं; वे सहानुभूति और दयालुता और कृपा के बारे में सोच रहे हैं, जिसे वह उनके साथ लाया और जिसने उसे सभी का मित्र बना दिया। यीशु के अच्छे चरवाहे की तस्वीर में, सुंदरता के साथ ही बल और सामर्थ भी है।

 

यीशु ने सुनने वालों से कहा कि वह अपनी भेड़ों को जानता है और उसकी भेड़ें उसे जानती हैं (पद 15)

 

प्रश्न 3) यीशु ने कहा, " मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं" (पद 15)। हम चरवाहे की आवाज़ को अन्य सभी आवाज़ों से किन व्यावहारिक तरीकों से समझते और पहचानते हैं?

 

प्रभु हमारे साथ गहराई से परिचित है और हमें अंदर से बाहर जानता है। सम्पूर्णता से परमेश्वर की हमारे बारे में सबकुछ जानने की इस क्षमता के लिए धर्मशास्त्रियों के पास एक बड़ा शब्द है; वे कहते हैं कि परमेश्वर सर्वज्ञानी है। वह हर समय सभी चीजें जानता है। ऐसा कुछ नहीं जो परमेश्वर को नहीं पता हो। उसे कभी नहीं सीखना पड़ा; उसे दिन की घटनाओं को जानने के लिए पढ़ने की ज़रूरत नहीं। हम कभी भी परमेश्वर को ऐसा कुछ भी नहीं बता सकते जो वह हमारे बारे में पहले से ही नहीं जानता हो। प्रभु यीशु को भी, देह में परमेश्वर होने के नाते, सभी चीजों का वही ज्ञान है। उनके पास सिद्ध ज्ञान, सिद्ध बुद्धि और जो कुछ भी चल रहा है उसकी सिद्ध समझ है। सिद्ध ज्ञान तथ्यों की सटीक जानकारी है। सिद्ध बुद्धिमत्ता तथ्यों का उचित अनुप्रयोग है, और सिद्ध समझ यह है कि वह तथ्यों को पूरी तरह से बूझता और समझता है। सर्वज्ञता परमेश्वर को अचूक बनाता है; वह त्रुटि या चूक के अक्षम है (भजन 139:1-10)। यह जानना कितना अद्भुत है, कि भले ही वो हमारे बारे में सबकुछ जानता है, फिर भी वह हमें प्रेम करता है और हमारी परवाह करता है। वह वास्तव में अच्छा चरवाहा है – वह सुंदर प्रिय!

 

हमारे पास सिद्ध ज्ञान के लिए समान क्षमता नहीं है, लेकिन हम उसे उद्धारकर्ता और प्रभु के रूप में घनिष्ठता से जान सकते हैं। जैसे-जैसे हम मसीह के साथ अपने सम्बन्ध में बढ़ते हैं, उतना ही हम उसे जानने की निकटता और घनिष्ठता का आनंद ले सकते हैं।

 

एक झुण्ड और एक चरवाहा

 

16और मेरी और भी भेड़ें हैं, जो इस भेड़शाला की नहीं; मुझे उनका भी लाना अवश्य है, वे मेरा शब्द सुनेंगी; तब एक ही झुण्ड और एक ही चरवाहा होगा। 17पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूँ, कि उसे फिर ले लूँ। 18कोई उसे मुझसे छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूँ: मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी

अधिकार है: यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है।19इन बातों के कारण यहूदियों में फिर फूट पड़ी। 20उनमें से बहुतेरे कहने लगे किउस में दुष्टात्मा है, और वह पागल है; उसकी क्यों सुनते हो?” 21औरों ने कहा, “ये बात ऐसे मनुष्य की नहीं जिस में दुष्टात्मा हो: क्या दुष्टात्मा अन्धों की आंखे खोल सकती है?” (यहुन्ना 10:16-21)

 

एक बार फिर, यीशु अपने द्वारा बोली सच्चाई से क्रोध और अपमान लेकर आए। उसने झूठे चरवाहों के हृदय प्रकट करने के लिए उनके मनों को अपमानित किया। जब लोगों ने यीशु से इस बारे में कि वह कौन है कहे शब्दों के बारे में सोचा तो उससे लोगों के बीच अलगाव हो गया। “अन्य” भेड़ें जिनका यीशु सोलह पद में उल्लेख करता है, वे गैर-यहूदी हैं, भेड़ें जो इब्रानी मूल की “भेड़शाला” की नहीं हैं। सुसमाचार पहले यहूदी लोगों के पास आया, और फिर प्रेरितों के अध्याय दस में, परमेश्वर ने अन्यजातियों को भी सुसमाचार की आज्ञाकारिता में बुलाने की योजना बनाई। वास्तव में, यह वचन अब्राहम को मिला था कि "भूमण्डल के सारे कुल तेरे द्वारा आशीष पाएंगे” (उत्पत्ति 12:3)। अब्राहम का प्रतिज्ञा का बीज, प्रभु यीशु मसीह, यहूदी और अन्यजातियों को भेड़ का एक झुण्ड और एक चरवाहा बनाएगा। इसका अर्थ यह नहीं है कि उसने मूल झुंड को त्याग दिया। उसने कहा कि एक झुंड और एक चरवाहा होगा। सभी विश्वासी, यहूदी और अन्यजाति एक झुंड बनेंगे। वो अपनी भेड़ों के लिए अपना जीवन दे देगा कि उन्हें पापों की क्षमा और नया जीवन मिल सके। वह स्वेच्छा से अपना प्राण देगा। हम क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए शैतान को बहुत अधिक श्रेय देते हैं। हाँ, वह क्रूस पर किए गए कार्यों के लिए दोषी है, लेकिन यह संसार की शुरुआत से ही परमेश्वर की योजना थी।

 

कुछ समय पहले, मैंने डॉक्टर डोनाल्ड ग्रे बार्नहाउस के द्वारा बताई एक कहानी सुनी थी। यह एक ऐसे व्यक्ति के बारे में थी जिसके पास एक खूबसूरत संपत्ति थी जिस पर कुछ शानदार पेड़ थे जिनमें यह व्यक्ति बहुत गर्व महसूस करता था। पेड़ों के बीच टहलना और उनकी सुंदरता पर तांकना उसके प्रतिदिन की दिनचर्या थी। इस व्यक्ति का एक शत्रु था जो उससे बेइंतहा नफरत करता था; यह शत्रु हमेशा संपत्ति के मालिक को परेशान करने के तरीके तलाश करता था। अंत में, शत्रु ने एक योजना बनाई, उसने सोचा इससे वह मालिक के हृदय को बहुत घायल कर देगा। उसने रात के अंधेरे में संपत्ति में जा कर सबसे खूबसूरत पेड़ों में से एक को काटने का फैसला किया। उसने अपनी योजना अच्छी तरह से बनाई। वह अपने साथ एक कुल्हाड़ी और आरी लाया और अपना काम शुरू किया। सारी रात जब तक उसकी मांसपेशियाँ दर्द से भर गयीं और हाथ में छाले पड़ गए, वो कठिन परिश्रम करता रहा।

 

जैसे ही सुबह हुई, उसने मालिक को एक साथी के साथ सवार होकर उस पेड़ की तरफ आते देखा जहाँ वो परिश्रम कर रहा था। उसने अपने प्रयासों को दोगुना किया, और वह जो कुछ भी कर सकता था, वह सब झोंक वो मेहनत में लगा रहा, और महान पेड़ चरमराने और डगमगाने लगा। जैसे ही उसके गिरने में गति आई, शत्रु ने जीत में चिल्लाना शुरू कर दिया। हालांकि, शाखाओं में से एक, उसके ऊपर गिरी और वह पीड़ा में जमीन पर गिर पड़ा। लेकिन उनकी घृणा गहन थी और जब मालिक उसकी ओर आ रहा था तो वह खिन्नाया। संपत्ति के मालिक ने अपने साथी को बुलाया और शत्रु से कहा, "तूने मेरा बहुत बड़ा नुकसान करने का सोचा था, लेकिन मैं तुझे दिखाना चाहता हूँ कि तूने क्या किया है। मेरे साथ यह व्यक्ति एक सुंदर घर का वास्तुकार है जो मैं इन पेड़ों के बीच में निर्माण करने की इच्छा रखता हूँ। घर के लिए जगह बनाने के लिए, इन पेड़ों में से एक को काटना जरूरी था। इस योजना को देखो। जिस पेड़ पर तुमने सारी रात परिश्रम किया है और जो अब तुम्हारी मृत्यु का कारण है वही वह पेड़ है जिसे मेरे घर के लिए जगह बनाने के लिए काटा जाना चाहिए था। तूने अनजाने में मेरे लिए काम किया है और तेरा परिश्रम तेरे लिए बेकार है और तेरी मृत्यु में कड़वाहट तेरा फल है।"

 

जब उसने परमेश्वर को अपने पुत्र, प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के द्वारा एक बाज़ी मारी, तब शैतान ने सोचा कि वह कितना बुद्धिमान था। लेकिन उसका प्रयास बहुत से पुत्रों को महिमा में लाने के लिए परमेश्वर के द्वारा पहले से ही जाना और नियुक्त किया हुआ था (इब्रानियों 2:10)। एक दिन हम अपने प्रभु के सम्मुख चरवाहे के लिए गहनों की तरह चमकेंगे:

 

उस समय उनका परमेश्वर यहोवा उनको अपनी प्रजारूपी भेड़-बकरियाँ जानकर उनका उद्धार करेगा; वे मुकुटमणि ठहरके, उसकी भूमि से बहुत ऊंचे पर चमकते रहेंगे। (जकर्याह 9:16)

 

आखिरकार, यह स्वयं परमेश्वर है जो अपने लोगों को बचाता है। हमारे पास धरती पर भी चरवाहे हैं, आत्मिक अग्वे जिन्हें परमेश्वर ने अपने झुंड के ऊपर चरवाहे की ज़िम्मेदारी दी है। लेकिन फिर भी, हमें इस तथ्य के प्रति जागरूक रहना है कि वो हमारा चरवाहा है, और हमेशा रहेगा। हमें उसकी आवाज इतनी अच्छी तरह से पता होनी चाहिए कि हम किसी अजनबी की आवाज़ न सुनें। इसका अर्थ यह है कि हम उसके वचन को जानें, हम उसके मार्गों को जानें, और जब वह हमारी अगवाई करता है तो हम पवित्र आत्मा की छोटी सी धीमी आवाज़ को जानें। ऐसे समय आएंगे जब हम मनुष्य द्वारा निराश होंगे, क्योंकि सभी लोग गिरने योग्य हैं। इसे सच्चे चरवाहे के पीछे न चलने का बहाना न होने दें। हम सभी अपने प्राणों के सच्चे और अच्छे चरवाहे की ओर अपने हृदय लगाए रखने के लिए और अपने चुनावों के लिए ज़िम्मेदार हैं। यहुन्ना का सुसमाचार हमें बहुत व्यावहारिक रूप से मसीह में दृढ़ और बने रहना सिखाता है। हम उसके लेखन में परमेश्वर की देखभाल में होने की सुरक्षा के बारे में एक दोहराए गए विषय के रूप में देखते हैं। यह कितना उपयुक्त है कि यहुन्ना को "वह शिष्य जिसे यीशु ने प्रेम किया" के रूप में जाना जाता है। उसे परमेश्वर के पोषण और देखभाल के स्वभाव की गहरी समझ थी।

 

भजन 23, शायद पवित्रशास्त्र में सबसे प्रसिद्ध और अक्सर उद्धृत खण्डों में से एक है। यह हमें स्पष्ट रूप से दिखाता है की अच्छे चरवाहे का स्वभाव क्या है और जब हम उसके पीछे चलते हैं तो क्या उम्मीद कर सकते हैं।

 

1यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी। 2वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है; 3वह मेरे जी में जी ले आता है। धर्म के मार्गो में वह अपने नाम के निमित मेरी अगुवाई करता है। 4चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में होकर चलूँ, तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है। 5तू मेरे सतानेवालों के सामने मेरे लिये मेज बिछाता है; तू ने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमण्ड रहा है। 6निश्चय भलाई और करूणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा वास करूंगा। (भजन 23)

 

शायद आप इस भजन को पढ़ने के लिए समय लेना चाहें। पहले पद में, यह हमें बताता है: "यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी।" यह वो लाभ हैं जिन्हें हम अच्छे चरवाहे के पीछे चलने में देखते हैं। वो हमें देता है:

 

1. मार्गदर्शन

2. पूर्ती और जीविका

3. संरक्षण और सुरक्षा

4. आनंद और मन की शांति

5. भरोसा और आराम

6. उसकी उपस्थिति में प्रसन्नता

 

 

समाप्ति की प्रार्थना के लिए प्रश्न: इन चीजों में से कौन सी आपको अपने जीवन में अभी सबसे ज्यादा चाहिए और क्यों? इन चीजों में से एक चुनिए और परमेश्वर से इसमें खुद को वास्तविक बनाने के लिए कहें। यदि आप इस अध्ययन को समूह की तरह पढ़ रहे हैं, तो इसे एक दूसरे व्यक्ति के साथ बाँटें और उनके लिए भी प्रार्थना करें।

 

प्रार्थना: "हे पिता, धन्यवाद, आपने मेरा चरवाहा होने का वचन दिया है। कृपया मुझे अपना रास्ता चुनने के बजाए आपकी आवाज़ सुनने में मदद करें। कृपया मुझे तब अपनी आवाज़ को तुरंत पहचानने में मदद करें जब आप मेरी दिशा बदलना चाहते हैं। आप ही वह हैं जिसकी ओर मैं देखना चाहता हूँ, वह जिस पर मैं अपनी आत्मा की सुरक्षा के लिए भरोसा करता हूँ। आमिन।

 

कीथ थॉमस

नि:शुल्क बाइबिल अध्यन के लिए वेबसाइट: www.groupbiblestudy.com

-मेल: keiththomas7@gmail.com

bottom of page