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39. The Seven Sayings from the Cross

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39. क्रूस पर से कहे सात कथन

वाया डोलोरोसा, क्रूस का मार्ग

16तब उसने उसे उनके हाथ सौंप दिया ताकि वह क्रूस पर चढ़ाया जाए। 17तब वे यीशु को ले गए। और वह अपना क्रूस उठाए हुए उस स्थान तक बाहर गया, जो खोपड़ी का स्थान कहलाता है और इब्रानी में गुलगुता। 18वहाँ उन्होंने उसे और उसके साथ और दो मनुष्यों को क्रूस पर चढ़ाया, एक को इधर और एक को उधर, और बीच में यीशु को। 19और पीलातुस ने एक दोष-पत्र लिखकर क्रूस पर लगा दिया और उसमें यह लिखा हुआ था, यीशु नासरी यहूदियों का राजा। 20यह दोष-पत्र बहुत यहूदियों ने पढ़ा क्योंकि वह स्थान जहाँ यीशु क्रूस पर चढ़ाया गया था नगर के पास था और पत्र इब्रानी और लतीनी और यूनानी में लिखा हुआ था। 21तब यहूदियों के महायाजकों ने पीलातुस से कहा, यहूदियों का राजा मत लिख परन्तु यह कि ‘उसने कहा, मैं यहूदियों का राजा हूँ।’” 22पीलातुस ने उत्तर दिया, मैंने जो लिख दिया, वह लिख दिया।” (यहुन्ना 19:16-22)

जैसे ही पिलातुस ने यीशु के खिलाफ फैसला सुनाया, रोमी सैनिक उसे ले गए। शायद प्रभु को रोमी सैन्यगार में वापस ले जाया गया था, और उसे चार सैनिकों के एक दस्ते को सूली पर चढ़ा देने के लिए सौंपा गया होगा। शहतीर, पैटिबुलम, को तब उसके कंधों से बांधा गया, और मत्ती लिखता है; "उसे… क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले चले" (मत्ती 27:31)। किसी व्यक्ति को क्रूस के स्थान तक ले चलना असामान्य था, क्योंकि आमतौर पर दंडित व्यक्ति को क्रूस के स्थान तक ले जाने में उसके प्रतिरोध का सामना करने के लिए बल का उपयोग करना पड़ता था। यीशु के साथ ऐसा नहीं था; क्योंकि एक बार फिर, वह पवित्रशास्त्र के वचन को पूरा कर रहा था; "जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय व भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला" (यशायाह 53:7)। उसने विरोध नहीं किया, लेकिन स्वेच्छा से उनके पीछे चला आया।

आमतौर पर, क्रूस पर चढ़ाए जाने वाले व्यक्ति को शहर पनाह के बाहर एक ऐसे स्थान तक जुलूस निकाल कर ले जाया जाता था जहाँ पर शहर के द्वार से अंदर और बाहर जाने वाले ज्यादातर लोग उसे देख सकें। आरंभिक कलीसिया के प्राचीन महसूस करते थे कि इसहाक के उसके पिता अब्राहम द्वारा बलिदान किए जाने के लिए स्वयं लकड़ी ढो कर ले जाना (उत्पत्ति 22:6), यीशु के अपने क्रूस ढोने का प्रतीक था। सूली पर चढ़ाए जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ क्वार्टरनिओन कहे जाने वाले चार सैनिक, उसकी हर दिशा में एक, हुआ करते थे। अगवाई कर रहा रोमी सैनिक क्रूस पर चढ़ाए जाने के कारण का एक चिन्ह लेकर चलता था। यह अभियोग उसे पढ़ने वाले लोगों में भय पैदा करेगा ताकि वह भी उस समान का अपराध करने से पहले दो बार सोचें।

रोमियों द्वारा क्रूस पर चढ़ाए जाने को दंड के रूप में प्रयोग करने के चार कारणों थे; 1) यह मौत तड़प भरी थी, 2) क्रूस पर चढ़ाए जाने की प्रक्रिया धीमी थी, 3) इसे सार्वजनिक रूप से देखा जा सकता था, और 4) यह अपमानजनक था और अपराध और विद्रोह के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करता था।

पीलातुस ने निर्देश दिया कि चिन्ह को अरामी, लतीनी और यूनानी भाषा में लिखा जाए, जिस पर यह शब्द लिखे हों; यीशु नासरी, यहूदियों का राजा। यहूदी अगवे इससे क्रुद्ध हुए और उन्होंने चिन्ह को ऐसे बदलवाने की कोशिश की कि यीशु ने कहा था कि वह यहूदियों का राजा था। पीलातुस ने उन्हें उत्तर दिया, मैंने जो लिख दिया, वह लिख दिया” (यहुन्ना 19:22)। यह ऐसा था कि जैसे परमेश्वर पिलातुस के द्वारा सच बोल रहा था और वह चिन्ह को बदलने की अनुमति नहीं देगा। पीड़ित के अपराध को बताने वाले टिटुलुस, या छोटे चिन्ह को क्रूस के सिर पर ठोक दिया जाता था। लेकिन, यीशु ने कोई अपराध नहीं किया था। पिलातुस ने खुद घोषणा की कि उसे मसीह में कोई दोष नहीं मिला था और हो सकता है कि उसने यीशु के क्रूस पर यह शिलालेख यहूदियों को ताना मारते हुए एक क्रूर मजाक के रूप में लगाया हो। हमें पता नहीं है कि जिस तरह से यह चिन्ह लिखा गया था, उसके पीछे पिलातुस का क्या मकसद था, लेकिन इसके द्वारा क्रूस से यीशु की प्रभुता की घोषणा हुई।

खोपड़ी का स्थान

33और उस स्थान पर जो गुलगुता नाम की जगह अर्थात खोपड़ी का स्थान कहलाता है पहुँचकर; 34उन्होंने पित्त मिलाया हुआ दाखरस उसे पीने को दिया, परन्तु उसने चखकर पीना न चाहा। (मत्ती 27:33-34)

क्रूस पर चढ़ाए जाने का स्थान भी महत्वपूर्ण है। इसके शहर के द्वार के बाहर ऐसी सड़क के पास होने की संभावना है जहाँ से लोग गुजर रहे होंगे। यीशु ने उनके अपमान के शब्दों को सुना होगा। यदि आप आज यरुशलम जाते हैं, तो आपको "गुलगुता" या "कल्वरी" (जिसका अर्थ है खोपड़ी का स्थान) के रूप में पहचाने जाने वाले एक से अधिक स्थान मिलेंगे, उदाहरण के लिए, द कैथोलिक चर्च ऑफ़ द होली सेपलचर और इवेंजेलिकल गार्डन टूम्ब या गॉर्डनज़। कैलवरी। दोनों के लिए सबूत के साथ-साथ सुझाव भी हैं कि इस स्थान का नाम ऐसा क्यों रखा गया। एक यह दंतकथा है कि आदम की खोपड़ी को वहीं दफनाया गया था। गॉर्डनज़ कैलवरी के एक संभावित स्थान होने का दूसरा कारण यह है कि इस स्थान का आकार खोपड़ी जैसा दिखता है। गुलगुता नाम का तीसरा सुझाव इसलिए है क्योंकि यह क्रूस पर चढ़ाए गए अपराधियों की खोपड़ियों से भरा हुआ था। इस तीसरे सुझाव की संभावना कम है क्योंकि यहूदी कानून एक शरीर के खुले में विघटित होने की अनुमति नहीं देता।

सूली पर चढ़ाने की रोमी विधि अक्सर कई दिनों तक चलती थी, और वे दूसरों के लिए चेतावनी के रूप में शरीर को क्रूस पर कुछ दिन विघटित होने देते थे। लेकिन, शास्त्रों के अनुसार पेड़ से लटकाए जाने वालों को रात से पहले वहाँ से उतारना आवश्यक था (व्यवस्थाविवरण 21:22-23)। इस उदासीन नाम का कारण जो भी हो, यह एक उजाड़ जगह थी, समुदाय के बाहर अस्वीकृति का स्थान जो दंड के लिए आरक्षित था; जहाँ स्वर्ग के राजा ने हमारे लिए खुद को दे दिया (इब्रानियों 13:12-13)। यह ध्यान देने योग्य है कि इजरायल के अभिषिक्त याजक को इजरायल के पाप की भेंटी को पूरी तरह से जलाना पड़ता था, अर्थात्, बलिदान की बलि को समुदाय के बाहर (लैव्यव्यवस्था 4:21)। यहाँ, हम फिर से शहर के द्वार के बाहर मसीह के स्थानापन्न बलिदान की भविष्यवाणी को देखते हैं।

इससे पहले कि वे छह इंच की कीलों को हाथों और पैरों में गाड़ते, उन्होंने मसीह को कुछ पीने के लिए दिया। मत्ती 27:33-34 हमें बताता है कि यीशु को पित्त, एक कडवे पदार्थ के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला शब्द, के साथ मिलाया खट्टा दाखरस (सिरका) दिया गया। मरकुस हमें बताता है कि यह कड़वा पेय मुर्र था (मरकुस 15:23), एक हल्का मादक पदार्थ। जब यीशु ने उसे चखा, तो उसने उसे उगल दिया। आपको क्या लगता है कि यीशु ने इसे क्यों उगल दिया?

सैकड़ों वर्ष पहले, भविष्यवक्ताओं ने परमेश्वर के पीड़ित सेवक के बारे में लिखा था जो मनुष्य को परमेश्वर के साथ संगति के लिए पुनर्स्थापित करने के लिए आवश्यक सभी चीजों को पूरा करेगा। कुछ लोग राजा दाऊद को भजन 69 का लेखक होने का श्रेय देते हैं। लेखक ने भविष्यवाणी की कि मसीहा को पित्त मिला खट्टा दाखरस (सिरका) पीने के लिए दिया जाएगा।

19मेरी नामधराई और लज्जा और अनादर को तू जानता है; मेरे सब द्रोही तेरे सामने हैं। 20मेरा हृदय नामधराई के कारण फट गया, और मैं बहुत उदास हूँ। मैंने किसी तरस खाने वाले की आशा तो की, परन्तु किसी को न पाया, और शान्ति देने वाले ढूंढ़ता तो रहा, परन्तु कोई न मिला। 21और लोगों ने मेरे खाने के लिये इन्द्रायन दिया, और मेरी प्यास बुझाने के लिये मुझे सिरका पिलाया। (भजन 69:19-21)

मसीह के आने का उद्देश्य दोषी मानवता के स्थान पर क्रूस पर मरना था। वह इस महत्वपूर्ण समय में अपनी इंद्रियों को सुस्त करने के लिए कुछ भी नहीं करना चाहता था। मसीह मृत्यु को चखने आया, अर्थात, हर व्यक्ति के लिए सम्पूर्ण दंड लेने (इब्रानियों 2:9)। जब यीशु ने हल्के मादक पदार्थ, मुर्र को लेने से इनकार कर दिया (मरकुस 15:23), तो उन्होंने उसे पैटीबुलम, शहतीर पर लेटा दिया, और छह इंच के कीलों से उसके हाथों और पैरों को छेद दिया। कई शास्त्रीय चित्रकारों ने सोचा था कि यीशु को हथेलियों से छेदा गया था, लेकिन अब, रोमी ऐतिहासिक लेखों के माध्यम से, हम जानते हैं कि कीलें कलाई की छोटी हड्डियों (रेडियल और उल्ना) के बीचों-बीच से गाड़ी गईं थीं। फिर पैटीबुलम को, कीलों से ठोके हुए यीशु समेत, उठा लिया गया और फिर क्रूस के खड़े भाग के मध्य भाग में उतार दिया गया था। फिर रोमी सैनिक दोनों पैरों को एक साथ जोड़ कर, उन्हें थोड़ा मोड़, आम तौर पर और एक कील को कण्डरापेशी (एक्लीज़ टेंडन्स) में से गाड़ देते।

कुछ सबूत हैं जो बताते हैं कि, कुछ उदाहरणों में, चार कीलों का उपयोग किया जाता था, जिसमें पैरों को अलग-अलग खड़े भाग पर गाड़ा जाता था। वे फिर सेडुकुला कहे जाने वाले लकड़ी के एक टुकड़े को पैरों के नीचे रखते, ताकि पीड़ित अत्यंत पीड़ा के साथ अपने पैरों को नीचे धकेल अपने फेफड़ों को हवा से भर सके। जैसे-जैसे शरीर का वजन कीलों पर आता होगा, कलाई के नसों पर दबाव के कारण दर्द असहनीय हो जाता होगा। पीड़ित व्यक्ति को इस तरह से सांस लेना मृत्यु के समय को बढ़ा देता।

अब, आइए उसकी मृत्यु के समय पर विचार करें। यह कोई संयोग नहीं था कि यीशु की मृत्यु फसह के दौरान हुई थी। यह एक मार्मिक विचार है कि ठीक यीशु की मृत्यु के ही समय, मंदिर क्षेत्र में कई सौ गज की दूरी पर, उस शाम इजराएलियों के फसह का भोज करने के लिए यरूशलेम में चारों ओर फसह के मेमनों को मारा जा रहा था। इतिहासकार जोसेफस ने दर्ज किया है कि 66 मसीह पश्चात में फसह के पर्व में 2,56,000 से अधिक मेमनों की बलि दी गई थी। इतने मेमनों को तैयार करने के लिए, जब परमेश्वर के मेमने को सच्चे फसह के लिए सूली पर चढ़ाया गया था, सभी याजक अपने काम में व्यस्त होंगे। मेमने भूने जाते थे, और घर के लोगों को उस रात पूरा मेमना खाना होता था (निर्गमन 12:8-10)। हमें भी परमेश्वर के मेम्ने को अपने जीवन में संपूर्णता से लेना है (यहुन्ना 1:12) और आत्मिक रूप से परमेश्वर के मेमने के जीवन में सहभागी होना है (यहुन्ना 6:53)

राजा दाऊद एक भविष्यवक्ता भी थे और सैकड़ों वर्ष पूर्व जब उन्होंने भजन 22 लिखा, उन्होंने इन क्षणों का वर्णन किया था। कुछ लोगों का मानना ​​है कि क्रूस पर मसीह ने पूरे भजन को कहा था। हम जानते हैं कि उसने इसका कुछ भाग तो कहा था। यहाँ भजन 22 के कुछ अंश हैं;

1हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहाँ है? 6परन्तु मैं तो कीड़ा हूँ, मनुष्य नहीं; मनुष्यों में मेरी नामधराई है, और लोगों में मेरा अपमान होता है। 7वह सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं, और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं, 8अपने को यहोवा के वश में कर दे वही उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे क्योंकि वह उससे प्रसन्न है।” 12बहुत से सांढ़ों ने मुझे घेर लिया है, बाशान के बलवन्त सांढ़ मेरे चारों ओर मुझे घेरे हुए हैं। 13वह फाड़ने और गरजने वाले सिंह की नाईं मुझ पर अपना मुंह पसारे हुए है। 14मैं जल की नाईं बह गया, और मेरी सब हडि्डयों के जोड़ उखड़ गए; मेरा हृदय मोम हो गया, वह मेरी देह के भीतर पिघल गया15मेरा बल टूट गया, मैं ठीकरा हो गया; और मेरी जीभ मेरे तालू से चिपक गई; और तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है। 16क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरी चारों ओर मुझे घेरे हुए है; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं। 17मैं अपनी सब हडि्डयाँ गिन सकता हूँ; वे मुझे देखते और निहारते हैं; 18वे मेरे वस्त्र आपस में बांटते हैं, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं। (भजन 22:1, 6-8, 12-18)

दाऊद का यह भविष्यवाणी का भजन किन तरीकों से मसीह के क्रूस पर चढ़ने की बात करता है? आप क्या समानताएँ देखते हैं?

शर्मिंदगी बढ़ाने के लिए क्रूस पर चढ़ाये जाने वाले को पूरी तरह से निर्वस्त्र किया जाना सामान्य था, लेकिन यह संभव है कि यहूदी संवेदनाओं ने एक लंगोटी की अनुमति दे दी हो।

23जब सिपाही यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके, तो उसके कपड़े लेकर चार भाग किए, हर सिपाही के लिये एक भाग और कुर्ता भी लिया, परन्तु कुर्ता बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ था; इसलिये उन्होंने आपस में कहा, हम इसको न फाड़ें, परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि वह किस का होगा। 24यह इसलिये हुआ, कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कि उन्होंने मेरे कपड़े आपस में बांट लिये और मेरे वस्त्र पर चिट्ठी डाली; सो सिपाहियों ने ऐसा ही किया। 25परन्तु यीशु के क्रूस के पास उसकी माता और उसकी माता की बहिन, मरियम, क्लोपास की पत्नी और मरियम मगदलीनी खड़ी थी। 26यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा; हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है।” 27तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है”, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया। 28इस के बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका; इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कहा, मैं प्यासा हूँ।” 29वहाँ एक सिरके से भरा हुआ बर्तन धरा था, सो उन्होंने सिरके में भिगोए हुए इस्पंज को जूफे पर रखकर उसके मुंह से लगाया। 30जब यीशु ने वह सिरका लिया, तो कहा “पूरा हुआ” और सिर झुकाकर प्राण त्याग दिए। (यहुन्ना 19:23-30)

उन चार सैनिकों को जो यीशु को गुलगुता की ओर ले गए थे, अपराधी के कपड़े और चप्पल रखने की अनुमति थी, लेकिन उन्होंने बिना सिअन एक टुकड़े में बुने उसके अंतर्वस्त्र के लिए एक पासा वाले खेल के समान चिट्ठी डाली (यहुन्ना 19:23)। इसे फाड़ने से तो यह बेकार हो जाता, इसलिए उन्होंने इसके लिए चिट्ठी डाली। कपड़ों के इस विभाजन और मसीह के बिना सिअन के परिधान के लिए चिट्ठी डालना ठीक वैसे ही था जैसे दाऊद ने सैकड़ों वर्ष पूर्व भविष्यवाणी की थी (भजन 22:18)। यहुन्ना हमारा ध्यान उस बिना सिअन के अंतर्वस्त्र की ओर आकर्षित करता है जिसके लिए सैनिकों ने चिट्ठी डाली। शायद, इसने यहुन्ना से महायाजक के परिधान के बारे में बात की, जो बिना सिअन का होता था। उस समय के इतिहासकार जोसेफस ने महायाजक के कपड़ों के बारे में लिखा है; “अब, यह वस्त्र दो टुकड़ों से बना नहीं था, और न ही इसे कंधे और बाजू पर एक साथ सिल दिया गया था, लेकिन यह एक ऐसा लंबा वस्त्र था जिसे ऐसे बुना जाता था कि इसमें ऊपर सर निकालने के लिए जगह थी।” मसीह, हमारा महायाजक, प्रायश्चित के स्थान पर वह अंतर्वस्त्र पहन कर गया था।

 

क्रूस पर से कहे सात कथन

 

अब हम क्रूस पर मसीह की सात अंतिम बातों के बारे में विचार करेंगे। यीशु को दो अन्य लोगों के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया था, जहाँ वह उसके अगल-बगल थे। वह उनके बीच में था जैसे कि वह सबसे बुरा हो। मध्य क्रूस आमतौर पर टोली के सरदार का स्थान था। एक बार फिर, सैकड़ों वर्ष पहले लिखी गई भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं;

इस कारण मैं उसे महान लोगों के संग भाग दूंगा, और, वह सामर्थियों के संग लूट बांट लेगा; क्योंकि उसने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया; तौभी उसने बहुतों के पाप का बोझ उठ लिया, और, अपराधियों के लिये विनती करता है(यशायाह 53:12)


 

जैसा कि ऊपर की भविष्यवाणी बताती है, यीशु भयानक दर्द में लटका हुआ वहाँ उसे देखने के लिए इकट्ठा लोगों के लिए प्रार्थना कर रहा था।

पहला कथन; "पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं" (लूका 23:34)

इन शब्दों में हमारे लिए उपलब्ध दया और अनुग्रह कितना सुंदर है! यदि आपने कभी परमेश्वर के प्रेम और करुणा पर संदेह किया है, तो आपको इन शब्दों को याद कर लेना चाहिए। परमेश्वर के निर्दोष मेमने ने अपने शरीर में हमारे पाप को सह, उससे निपटारा किया, हमारे सब अपराधों को क्षमा किया। 14और विधियों का वह लेख जो हमारे नाम पर और हमारे विरोध में था मिटा डाला; और उस को क्रूस पर कीलों से जड़ कर सामने से हटा दिया है।” (कुलुस्सियों 2:13b-14)

यीशु ने लकड़ी के छोटे टुकड़े का उपयोग करते हुए अपने शरीर को अपने पैरों में गड़ी कीलों से सहारा देकर धकेलते हुए एक-एक सांस के लिए मशक्कत की। जब वह खुद को ऊपर की ओर धकेलता, उसकी पीठ में खुले घाव लकड़ी के खड़े भाग से छिल जाते। हर कोण से, हम दर्द की मार को देख सकते हैं। उसकी पीठ और उसके शरीर का अधिकांश हिस्सा एक रक्तरंजित द्रव्यमान था; कांटों से सुसज्जित उसके सिर से खून टपक रहा था; उसके हाथों और पैरों से खून टपक रहा था, और जल्द ही जब सिपाही ने उसे अपने भाले से छेदा, उसकी बाजू में एक गहरे घाव से खून बहने लगा (यहुन्ना 19:34)

जल्द ही उसके आलोचक उसकी ओर अपने अभिशाप और घृणा उछालते हुए इकट्ठा होने लगे;

39और आने जाने वाले सिर हिला हिलाकर उस की निन्दा करते थे। 40 और यह कहते थे, हे मन्दिर के ढाने वाले और तीन दिन में बनाने वाले, अपने आप को तो बचा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ।” 41इसी रीति से महायाजक भी शास्त्रियों और पुरनियों समेत ठट्ठा कर करके कहते थे, इसने औरों को बचाया, और अपने को नहीं बचा सकता। 42यह तो “इस्राएल का राजा है”। अब क्रूस पर से उतर आए, तो हम उस पर विश्वास करें। 43उसने परमेश्वर का भरोसा रखा है, यदि वह इसको चाहता है, तो अब इसे छुड़ा ले, क्योंकि इसने कहा था, कि ‘मैं परमेश्वर का पुत्र हूँ ’”। (मत्ती 27:39-43)

एक बार फिर, यह कुछ ऐसा था जिसेके विषय में परमेश्वर ने भविष्यद्वक्ता राजा दाऊद के द्वारा पूर्व में भविष्यवाणी की थी, अर्थात, यह कि दाऊद के वंशजों में से एक राजा बनेगा लेकिन मनुष्यों द्वारा तिरस्कृत किया जाएगा और उससे घृणा की जाएगी। होने से सैकड़ों वर्ष पूर्व कही यह भविष्यवाणियाँ पवित्र-शास्त्र की प्रामाणिकता के प्रमाण के रूप में बोलती हैं, ताकि जब यह घटनाएँ घटें, तो हमें पवित्र-शास्त्र की सच्चाई का एहसास हो सके और हम परमेश्वर और उसके मसीहा, यीशु में अपना विश्वास स्थापित कर सकें। यहाँ दाऊद की भविष्यवाणी है जो कि उन लोगों से संबंधित है जिन्होंने उसकी इस पीड़ा के समय मसीह का अपमान किया था;

7वह सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं, और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं, 8अपने को यहोवा के वश में कर दे वही उसको छुड़ाए, वह उसको उबारे क्योंकि वह उससे प्रसन्न है।” 12बहुत से सांढ़ों ने मुझे घेर लिया है, बाशान के बलवन्त सांढ़ मेरे चारों ओर मुझे घेरे हुए हैं। 13वह फाड़ने और गरजने वाले सिंह की नाईं मुझ पर अपना मुंह पसारे हुए है। 16क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरी चारों ओर मुझे घेरे हुए है; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं। (भजन 22:7-8, 12-13, 16)

दूसरा कथन; मैं तुझसे सच कहता हूँ; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा। उसके साथ क्रूस पर चढ़ाये गए लुटेरों में से एक लुटेरा उसका तिरस्सकार करने में शामिल हो गया, जबकि दूसरे ने पछतावा किया;

39जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उनमें से एक ने उसकी निन्दा करके कहा, क्या तू मसीह नहीं तो फिर अपने आप को और हमें बचा।” 40इस पर दूसरे ने उसे डांटकर कहा, क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है। 41और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इसने कोई अनुचित काम नहीं किया।” 42तब उसने कहा, “हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।” 43उसने उससे कहा, मैं तुझसे सच कहता हूँ; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा। (लूका 23:39-43)

प्रभु यीशु का जीवन मानवता में एक विभाजन का कारण बनता है; "जो मेरे साथ नहीं, वह मेरे विरोध में है; और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखराता है" (मत्ती 12:30)। हम में से प्रत्येक उनमें से एक की तरह है। हम सभी को चुनाव करना है कि अपनी मृत्यु के समय हम किसके जैसा होना चाहते हैं। कुछ लोग मसीह की मृत्यु में कोई मूल्य नहीं देखेंगे और अपने पापों में मर जाएंगे; जबकि, अन्य लोग उस दिन मसीह के छुटकारे का कार्य देखेंगे और इसे अपने स्थान पर सहे जाने के रूप में ग्रहण करने की रीति से देखेंगे। हम क्रूस से बच नहीं सकते। हम सभी को अपना चुनाव करना होगा; पाप में आगे बढ़ना या फिर हमारे लिए और हमारे रूप में मसीह के प्रतिस्थापन कार्य में अपने विश्वास को स्थापित कर उस पर विश्वास करना। यीशु ने पश्चाताप करने वाले लुटेरे से कहा कि वह उसी दिन स्वर्ग में उसके साथ होगा। बहुत से लोग इस दंडित लुटेरे को दी इस तरह की कृपा को समझ नहीं पाते हैं क्योंकि उसके पास कोई अच्छा काम करने का समय नहीं था, न ही उसका बपतिस्मा हुआ था, लेकिन मसीह ने कहा कि उस दिन यीशु में उसका विश्वास पर्याप्त था। मैं आपको याद दिला दूँ कि उद्धार विश्वासी को उपहार के रूप में दिया जाता है, न कि किसी धार्मिकता के कार्यों के द्वारा जो हमने किए हों (तीतुस 3:5, इफिसियों 2:8-9)। यदि आप कभी सब अनुग्रह के परमेश्वर के पास नहीं आए हैं, तो आज ही परमेश्वर के उसी उपहार के लिए उससे गुहार लगाएँ।

तीसरा कथन; दर्दनाक सांसों के बीच, यीशु अभी भी उसके सबसे प्रिय लोगों की परवाह कर रहा था।

यीशु ने… अपनी माता से कहा; हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है।” 27तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है”, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया। (यहुन्ना 19:26-27)

हम यीशु की सेवकाई के दौरान मरियम के पति, यूसुफ के बारे में नहीं सुनते हैं। हम मान सकते हैं कि वह किसी बिंदु पर मर गया था। परिवार की पहली संतान होने के कारण मरियम की देखभाल करना यीशु की ज़िम्मेदारी थी। उसने उस शिष्य से जिससे वह सबसे अधिक प्रेम करता था, यहुन्ना, अपनी माँ की देखभाल करने के लिए कहा। वह उसे उस व्यक्ति की ज़िम्मेदारी में देता है जिस पर वह सबसे ज्यादा भरोसा कर सकता था। पीड़ा और तीव्र आत्मिक युद्ध के क्षणों में भी, यीशु की चिंता उन लोगों के लिए थी जो उसके लिए शोक मनाते थे, और वह इस बहुत व्यावहारिक बात को नहीं भूला। उसने उन्हें उसके जाने के बाद सहारा देने के लिए एक दूसरे को सौंपा।

यहुन्ना के विवरण में इसका उल्लेख नहीं है, लेकिन मत्ती तीन घंटे तक पृथ्वी पर छाने वाले असामान्य अंधेरे को दर्ज करता है, "दोपहर से लेकर तीसरे पहर तक उस सारे देश में अन्धेरा छाया रहा" (मत्ती 27:45)। यह अंधेरा किसी ग्रहण के कारण नहीं था क्योंकि एक ग्रहण साढ़े सात मिनट से अधिक समय तक नहीं रह सकता है; जबकि, यह अंधेरा तीन घंटे तक रहा। भविष्यवक्ता अमोस ने अंधकार के इस समय के बारे में भविष्यवाणी की थी;

"परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं सूर्य को दोपहर के समय अस्त करूंगा, और इस देश को दिन दुपहरी अन्धियारा कर दूंगा।” (आमोस 8:9)

चौथा कथन; फिर यीशु ने क्रूस पर से अपना चौथा कथन कहा, "हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?" (मरकुस 15:34)

मसीह ने परमेश्वर द्वारा त्यागा क्यों महसूस किया?

पौलुस ने कुरिंथ में कलीसिया को लिखा, "जो पाप से अज्ञात था, उसी को उस ने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में होकर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं" (2 कुरिन्थियों 5:21)। वहाँ, क्रूस पर, यीशु को उस पर संसार के सारे पाप के साथ लाद दिया गया था। वह सम्पूर्ण मानव जाति का पाप ढोने वाला बन गया। पवित्रशास्त्र हमें बताता है कि परमेश्वर बुराई को देखने के लिए बहुत पवित्र है (हबक्कूक 1:13)। यीशु के द्वारा आपके और मेरे पाप अपने ऊपर लेने के कारण पिता ने पुत्र से मुंह फेर लिया। यह मुंह फेरना क्रूस का सबसे दर्दनाक समय था।

थॉमस डेविस, जो एक एक चिकित्सक हैं, उन्होंने अध्ययन किया है कि शरीर पर क्रूस का क्या प्रभाव पड़ता है;

जब बाहें थकने लगती हैं, मांसपेशियों में गहरे, अथक, धड़कते हुए दर्द के साथ जकड़न और ऐंठन की बड़ी लहरें दौड़ने लगती हैं। इस ऐंठन के साथ खुद को ऊपर की ओर धकेलने में असमर्थता आती है। अपनी बाहों से लटकते हुए, छाती की मांसपेशियों को लकवा मार जाता है, और पसलियों के बीच की मांसपेशियाँ कार्य करने में असमर्थ हो जाती हैं। हवा फेफड़ों में खींची जा सकती है, लेकिन इसे बाहर नहीं निकाला जा सकता है। यीशु एक छोटी सांस लेने के लिए भी खुद को ऊपर उठाने के लिए संघर्ष करता है। अंत में, कार्बन डाइऑक्साइड फेफड़ों में इकट्ठा होती जाती है, और रक्तप्रवाह और ऐंठन आंशिक रूप से कम हो जाती है। बीच-बीच में, वह खुद को ऊपर की ओर धकेलने और जीवन देने वाली ऑक्सीजन खींचने में सक्षम होता है... इस असीम दर्द के घंटे, मरोड़ों के चक्र, जोड़ों को तोड़ने वाली ऐंठन, आंतरायिक आंशिक दम घुटने के चक्र, जब वह खुरदुरी लकड़ियों पर ऊपर-नीचे होता है, उससे उसकी घाव से भरी पीठ की मासपेशियों के फटने का अथाह दर्द। फिर, एक और यातना शुरू होती है। पेरीकार्डियम के रक्तोद से भर जाने और हृदय पर दबाव डालने के कारण छाती में एक गहरा कुचलने वाला दर्द। अब यह लगभग समाप्त होने वाला है - ऊतक द्रवय का नुकसान एक महत्वपूर्ण स्तर तक पहुँच गया है - संकुचित हृदय ऊतकों में भारी, गाढ़ा, सुस्त रक्त संचार करने के लिए संघर्ष कर रहा है - यातना से पीड़ित फेफड़े फनफ़्ते हुए हवा के छोटे घूंट पीने का उन्मत्त प्रयास कर रहे हैं। स्पष्ट रूप से निर्जलित ऊतक मस्तिष्क में उत्तेजनाओं की बाढ़ भेजते हैं।

पाँचवाँ कथन; फिर, यीशु पाँचवाँ कथन कहता है; मैं प्यासा हूँ। (यहुन्ना 19:28) इस कथन की भविष्यवाणी राजा दाऊद द्वारा की गई थी, "मेरा बल टूट गया, मैं ठीकरा हो गया; और मेरी जीभ मेरे तालू से चिपक गई; और तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है" (भजन 22:15) यहुन्ना लिखता है कि एक सैनिक इस्पंज को जूफे पर रखकर लाता है।

29वहाँ एक सिरके से भरा हुआ बर्तन धरा था, सो उन्होंने सिरके में भिगोए हुए इस्पंज को जूफे पर रखकर उसके मुंह से लगाया। (यहुन्ना 19:29)

यहुन्ना को जूफे का उल्लेख करने की क्या ज़रूरत थी? यहुन्ना, छोटे विवरणों को हमेशा महत्व देता है। जब इजराएली फिरौन और मिस्र के गुलाम थे, तो उद्धार का साधन एक शुद्ध और उत्तम मेमने का खून था जिसे बहा कर दरवाजे के नीचे एक तसले में रखा जाता था। तब उन्हें जूफे के पौधे का एक गुच्छा लेकर इसे तसले में लहू में डुबाकर इसे चौखट के सिर पर और दरवाजे के दोनों किनारों पर एक क्रूस बनाते हुए लगाना था।

तुम अपने-अपने कुल के अनुसार एक-एक मेम्ना अलग कर रखो, और फसह का पशु बलि करना। 22और उसका लहू जो तसले में होगा उसमें जूफा का एक गुच्छा डुबाकर उसी तसले में के लहू से द्वार के चौखट के सिरे और दोनों अलंगों पर कुछ लगाना; और भोर तक तुम में से कोई घर से बाहर न निकले। 23क्योंकि यहोवा देश के बीच हो कर मिस्रियों को मारता जाएगा; इसलिये जहाँ-जहाँ वह चौखट के सिरे, और दोनों अलंगों पर उस लहू को देखेगा, वहाँ-वहाँ वह उस द्वार को छोड़ जाएगा, और नाश करने वाले को तुम्हारे घरों में मारने के लिये न जाने देगा। (निर्गमन 12:21b-23)

जब परमेश्वर उस लहू को देखेगा, तो वह स्वयं घर की रक्षा करेगा और नाश करने वाले स्वर्गदूत को घर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देगा (यशायाह 31:5)। उसी तरह, हम मानते हैं कि नई वाचा का लहू (यिर्मयाह 31:31) हमारे आत्मिक जीवन पर लगाया गया है और हम अब प्रभु के हैं और पूरी तरह से शैतान (फिरौन) और संसार (मिस्र) से छुटकारा पाएँ हैं।

छठा कथन: "पूरा हुआ!" (यहुन्ना 19:30)। जब यीशु ने महसूस किया कि समय आ गया था, तीन सामान्य अवलोकन वाले सुसमाचार (मत्ती, मरकुस, लूका) हमें बताते हैं कि यीशु जोर से चिल्लाया, लेकिन वह हमें यह नहीं बताते कि उसने क्या चिल्लाया था। यह केवल यहुन्ना है जो हमें यूनानी शब्द टेटेलस्टाई देता है। अंग्रेजी में यह पूरा हुआ के रूप में अनुवादित, यह थकावट का चिल्लाना नहीं, लेकिन एक महान विजय घोषणा है। यीशु ने एक और बार अपने आप को ऊपर उठाते हुए अपने फेफड़े भरे और पूरे संसार के सुनने के लिए यह चिल्लाया। "पूरा हुआ!" (टेटेलस्टाई) उस समय की आम यूनानी भाषा में लेखांकन में प्रयोग होने वाला एक शब्द था। जब एक व्यक्ति का कर्ज चुका दिया जाता था, तो वह टेटेलस्टाई था। इसका अर्थ है किसी चीज का अंत करना, उसे समाप्त या पूरा करना, न केवल उसे खत्म कर देना, बल्कि उसे पूर्णता या उसके घोषित लक्ष्य तक पहुंचाना। इसका अर्थ किसी कर या श्रद्धांजलि के रूप में, पूर्ण भुगतान करना भी है। यह चिल्लाहट विजय की चीख थी! इसे पूरा किया गया था, पूर्ण भुगतान किया गया था और परमेश्वर के लोगों के लिए कोई ऋण शेष नहीं रहा। अब वे स्वतंत्र हैं! कोई आश्चर्य नहीं कि मसीह चिल्लाया। वह चाहता था कि संसार जाने कि पाप का कर्ज चुका दिया गया था। परमेश्वर का न्याय और न्याय के लिए प्रायश्चित (सही करना और मेल-मिलाप करना) किया जा चुका था।

सातवाँ कथन; जब यह चिल्लाहट गुलगुता के आसपास गूंज रही थी, तब उसके अंतिम शब्द, क्रूस से उसका सातवाँ कथन कहा गया था, "हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ" (लूका 23:46)। इस अंतिम कथन के साथ, यीशु ने अपने प्राण त्याग दिए।

आज मैं आपसे पूछना चाहता हूँ कि आपका कर्ज कैसा है? क्या यह आप पर हावी है? मसीहा ने आपके लिए आपके कर्ज का भुगतान कर दिया है, लेकिन जब तक आप इसे स्वीकार कर क्षमा प्राप्त नहीं करते हैं, तब तक आप उस बोझ को उठाते हुए जिसके भार को आपसे दूर करने के लिए मसीह मारा गया, अपने पाप में बने रहते हैं।

वर्ष 1829 में, जॉर्ज विल्सन नाम के एक फिलाडेल्फियाई व्यक्ति ने अमेरिकी डाक सेवा को लूट लिया, जिससे इस प्रक्रिया में किसी की मृत्यु हो गई। विल्सन को गिरफ्तार किया गया, उस पर मुकदमाँ चलाया गया, उसे दोषी पाया गया और फांसी की सजा दी गई। कुछ मित्रों ने उनकी ओर से हस्तक्षेप किया और अंततः राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन से उसके लिए क्षमा प्राप्त करने में सफल रहे। लेकिन, जब उन्हें इस बारे में बताया गया, तो जॉर्ज विल्सन ने क्षमा स्वीकार करने से इनकार कर दिया! शेरिफ इस सज़ा को लागू करने के लिए तैयार नहीं था - वह एक क्षमा प्राप्त व्यक्ति को फांसी पर कैसे लटका सकता है? राष्ट्रपति जैक्सन के पास गुहार लगाई गई। हैरान राष्ट्रपति ने मामले का फैसला करने के लिए अमरीकी संयुक्त राज्य की सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मुख्य न्यायाधीश मार्शल ने फैसला दिया कि एक क्षमा करने का आदेश कागज का एक टुकड़ा है, जिसका मूल्य निहित व्यक्ति द्वारा इसकी स्वीकृति पर निर्भर करता है। यह मान लेना कठिन है कि मौत की सजा पाया हुआ एक व्यक्ति क्षमा को स्वीकार करने से इंकार कर देगा, लेकिन अगर इसे अस्वीकार कर दिया जाता है, तो यह क्षमा प्राप्ति नहीं है। जॉर्ज विल्सन को फांसी दी जानी चाहिए। इसलिए, जबकि उसका क्षमा प्राप्ति का आदेश शेरिफ की मेज पर पड़ा था, जॉर्ज विल्सन को फांसी दे दी गई। मुख्य न्यायाधीश – सृष्टि के परमेश्वर द्वारा आपको दिए गए पूर्ण क्षमा के साथ आप क्या करेंगे? 1

मैं इस कहानी को एक विचार के साथ समाप्त करना चाहता हूँ कि जब सैनिकों ने मसीह के कपड़ों के लिए चिट्ठी डाली तब क्या हुआ। इस पर विचार करें। उस समय जब यीशु उनके लिए तड़प कर मर रहा था, ये लोग उदासीन थे। वे खेल खेल रहे थे और उसकी पीड़ा के बारे में बेपरवाह थे। यह उनके लिए सिर्फ एक सामान्य दिन था। उन्हें इस बात का एहसास नहीं था कि उनकी अनंत नियति अधर में लटकी थी, अर्थात कि सब कुछ निस्वार्थ प्रेम के इस कृत्य पर निर्भर था। यह तस्वीर हमें मसीह के प्रति संसार की उदासीनता को दर्शाती है। उन्होंने एक खेल खेला, जैसे कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मसीह के बलिदान के विषय में आप जो कुछ भी करते हैं, यह जान लीजिये कि इसके लिए एक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। इस भेंट, इस बलिदान के प्रति आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी? जॉर्ज विल्सन की तरह, क्या आप इसे मेज पर छोड़ देंगे?

प्रार्थना; पिता, आपके महान प्रेम और दया के लिए, जो आपने मेरे लिए मसीह यीशु में प्रकट किया और उसके महान बलिदान के लिए धन्यवाद। मुझे पाप से मुक्त कर और मुझे नया बनाएं। मैं अपना जीवन आपको सौंपता हूँ और उन आत्मिक बंधनों से मुक्त होने की इच्छा रखता हूँ जो मुझे जकड़े हुए हैं। आमिन!

कीथ थॉमस

-मेल: keiththomas@groupbiblestudy.com

वेबसाइट: www.groupbiblestudy.com

 

 1500 इलसट्रेशनस फॉर बिब्लिकल प्रीचिंग, माइकल ग्रीन द्वारा संपादित। बेकर बुक्स द्वारा प्रकाशित। पृष्ठ 317.

 

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